नीचे चकाचक तो ऊपर से जर्जर है इमारत
जबलपुर:आजादी के पहले से बनी कलेक्ट्रेट परिसर की इमारतें अब जर्जर होती जा रही है। भवन के बाहर लगी पट्टिका बताती है कि यह इमारत 13 नवंबर 1863 में बनकर तैयार कि गई थी। जिसमें कलेक्टर समेत शहर के अन्य प्रशासनिक अधिकारी बैठते हैं। समय-समय पर मेंटेनेंस होने के बावजूद ये इमारतें अब खस्ताहाल होती जा रही है। सदियों से कलेक्ट्रेट इन जर्जर इमारतों में संचालित हो रहा है। भवनों की स्थिति ऐसी है कि यहां काम करने वाले कर्मचारियों को हर समय दुर्घटना होने का भय बना रहता है। खासकर बरसात के वक्त बिल्डिंग की स्थिति देख कर्मचारी और अधिक भयभीत हो जाते है। वहीं अपर कलेक्टर की माने तो परिसर में अभी भी इमारतों के रख रखाव का कार्य चल रहा है। भवनों की मरम्मत कराए जाने को लेकर आलाधिकारियों को अवगत भी कराया जाता है। जिसके बाद मेंटेनेंस का कार्य शुरू किया जाता है।
नीचे चकाचक, ऊपर है जर्जर
शहर के दो चार शासकीय कार्यालयों को छोड़ दें तो तकरीबन एक दर्जन से अधिक कार्यालय ऐसे हैं जो जर्जर भवनों में चल रहे हैं। वहीं बात करें अगर कलेक्ट्रेट परिसर की तो यहां बनी इमारतों में नीचे की ओर बरामदे, कमरों की दिवारो पर आकर्षक चित्रकारी की गई है और इसे चकाचक रखा गया है, परंतु जैसे ही नजरे ऊपर प्रथम तल की ओर जाती है तो इमारत की जर्जरता साफ देखी जा सकती है। दिवारो पर दरारे पड़ चुकी है, इसके साथ ही पीपल एवं अन्य जंगली पेड़ पौधे भी उग आए हैं। स्थिति यह है कि बारिश के समय में भवनों की छत से पानी टपकता है। ऐसे में यह भवन काम करने के लिए खतरनाक होता जा रहा है। वही जानकारों ने बताया कि भवनों की मरम्मत का काम पीडब्ल्यूडी विभाग का है।
सदियों पुराना है परिसर
कलेक्ट्रेट परिसर में लगी पट्टिका के हिसाब से यह परिसर आजादी से पहले का बना हुआ है। वर्तमान में इस बिल्डिंग के अंदर कलेक्टर एवं अन्य अधिकारीगण बैठकर तमाम विभागों को संचालित करते है। लेकिन देखरेख होने के बावजूद यह इमारतें अब खस्ताहाल होने लगीं है। हाल ये है कि प्रथम तल के कमरों में न तो दीवारें ठीक हैं, और न ही दरवाजे और खिड़कियां। यही नहीं नगर निगम की बिल्डिंग, नापतोल विभाग, पुश अस्पताल जैसे अन्य कार्यालय जर्जर भवनों में संचालित हो रहे हैं।
इनका कहना है
कलेक्ट्रेट परिसर में मेंटेनेंस का कार्य चल रहा है। इमारतों का रखरखाव समय समय पर किया जाता है।
नाथूराम गोंड, अपर कलेक्टर, जबलपुर
