मुंबई (वार्ता) बॉम्बे उच्च न्यायालय ने स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा द्वारा दायर याचिका पर बुधवार को कोई आदेश पारित होने तक संरक्षण (गिरफ्तारी या कोई सुधारात्मक कार्रवाई नहीं) प्रदान किया।
कामरा वर्तमान में महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बारे में अपनी विवादास्पद टिप्पणियों के लिए आलोचनाओं का सामना कर रहे हैं।
न्यायमूर्ति सारंग कोतवाल और श्रीराम मोदक की खंडपीठ ने प्रदेश के उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के खिलाफ कथित रूप से बनाए गए व्यंग्यात्मक वीडियो और ”गद्दार” टिप्पणी के बाद उनके खिलाफ कई प्राथमिकी को रद्द करने की मांग करने वाली कामरा द्वारा दायर याचिका की सुनवाई के दौरान कहा , ”तर्क समाप्त हो गए। इस बीच जैसा कि सरकारी अभियोजक ने सहमति व्यक्त की कि सम्मन 35(3) के तहत है जो विशेष रूप से संदर्भित करता है कि व्यक्ति की गिरफ्तारी की आवश्यकता नहीं है, इस पृष्ठभूमि में इस व्यक्ति की गिरफ्तारी का सवाल ही नहीं उठता। तब तक मामले को आदेश के लिए सुरक्षित रखा गया है एव याचिकाकर्ता को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा।”
कामरा ने अपनी याचिका में उक्त प्राथमिकी से उत्पन्न कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग की। अदालत को बताया गया कि मद्रास उच्च न्यायालय ने कामरा को गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण दिया है जिसे आज तक समय-समय पर बढ़ाया गया है।
कामरा की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता नवरोज सीरवई ने अदालत को बताया कि कॉमेडी क्लिप संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अंतर्गत आती है। उन्होंने तर्क दिया कि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अपवादों के अंतर्गत नहीं आती है।
उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने विभिन्न अवसरों पर सेंसरशिप के अनुचित प्रयासों को खारिज कर दिया है क्योंकि आपराधिक कार्रवाई की मात्र धमकियाँ आत्म-सेंसरशिप की ओर ले जाती हैं और एक भयावह प्रभाव पैदा करती हैं। वकील ने तर्क दिया कि जिस व्यक्ति को बदनाम किया जा रहा है (एकनाथ शिंदे) ने शिकायत दर्ज नहीं की।
कामरा ने 146 पन्नों की याचिका में वैधता को चुनौती दी। शिवसेना विधायक मुराजी पटेल द्वारा भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धाराओं के तहत 24 मार्च, 2025 को खार पुलिस स्टेशन में दर्ज प्राथमिकी की सत्यता और औचित्य पर सवाल उठाया गया है। बाद में प्राथमिकी को मुंबई के खार पुलिस स्टेशन में स्थानांतरित कर दिया गया।
हालांकि कामरा ने सीधे तौर पर उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का नाम नहीं लिया था लेकिन पार्टी कार्यकर्ताओं का आरोप है कि उन्होंने शिवसेना से अलग होने का हवाला देते हुए श्री शिंदे को देशद्रोही कहा था।
कामरा की टिप्पणी से आहत शिवसेना कार्यकर्ताओं के एक समूह ने मुंबई के हैबिटेट स्टूडियो में भी तोड़फोड़ की थी जहां कॉमेडियन ने शो किया था। हिंसा के सिलसिले में 12 लोगों को गिरफ्तार किया गया था और बाद में उन्हें जमानत दे दी गई थी।
याचिका का विरोध करते हुए राज्य के वकील ने तर्क दिया कि जब कोई संज्ञेय अपराध बनता है तो संविधान का अनुच्छेद 19 लागू नहीं होता है। कॉमेडी शो की विषय-वस्तु का हवाला देते हुए वकील ने कहा कि यह पुलिस का व्यंग्य नहीं बल्कि ‘दुर्भावनापूर्ण निशाना’ था।
वकील ने हास्यप्रद आलोचना और दुर्भावनापूर्ण निशाना बनाने में अंतर बताते हुए कहा कि कामरा एक व्यक्ति को निशाना बना रहे थे और इसलिए यह हास्यप्रद आलोचना के दायरे में नहीं आता।
कामरा को मिली धमकियों पर वकील ने कहा कि राज्य उनकी सुरक्षा करेगा। हालांकि वकील ने कहा कि कामरा ने उन्हें मिली धमकियों के बारे में नहीं बताया।
उच्च न्यायालय ने बहस के बाद कहा कि कामरा की अंतरिम सुरक्षा कल समाप्त हो जाएगी। चूंकि नोटिस धारा 35(3) बीएनएसएस के तहत जारी किया गया था, इसलिए गिरफ्तारी आवश्यक नहीं है।
न्यायालय ने राज्य के वकील से कहा, ”आपका नोटिस 35(3) के तहत है, उसमें गिरफ्तारी का इरादा नहीं है। हम उसे रिकॉर्ड करेंगे। आप उससे भाग नहीं सकते।”
