दिल्ली डायरी
प्रवेश कुमार मिश्र
दिल्ली में इन दिनों आम बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के पिटारे से मिलने वाली राहत को लेकर चर्चा हो रही है. आयकर में छूट को लेकर जहां मध्यम वर्गीय परिवार ने उम्मीद लगाई है वहीं व्यवसायिक हितों को लेकर भी छोटे उद्योगों से जुड़े लोग सरकार की नीतियों की ओर देख रहे हैं. इतना ही नहीं गृहणियों की नजर भी महिला वित्त मंत्री के उपर है. उन्हें भी रसोई की बजट ठीक रखने के लिए महंगाई कम होने और रोजमर्रा के सामान सस्ता मिलने को लेकर उम्मीद लगी है. रेलवे में वरिष्ठ नागरिकों को रियायती दर पर टिकट देने की घोषणा को लेकर भी वरिष्ठ नागरिक सरकार से उम्मीद लगाए बैठे हैं.
दिल्ली चुनाव में मुफ्त देने की घोषणा की होड़
दिल्ली विधानसभा चुनाव में मतदाताओं को मुफ्त देने की आम आदमी पार्टी की परखी व सफल रणनीति को भाजपा व कांग्रेस ने भी अपना लिया है. संभवतः पहली बार भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा प्रांतीय चुनाव के लिए अपने संकल्प पत्र को जारी करते हुए मुफ्त देने के होड़ में आगे निकलने का प्रयास किया गया है. भाजपा की इस बदलती रणनीति को लेकर राजनीतिक गलियारों में खुब चर्चा हो रही है. कहा जा रहा है कि मुद्दों के आधार पर घेराबंदी करने के बावजूद मतदाताओं के बढ़ते समर्थन से आम आदमी पार्टी पिछले दस सालों से दिल्ली पर काबिज है. इसलिए भाजपा ने मुफ्त देने की रणनीति को आगे बढ़ाया है.
बिहार चुनाव के पहले एकजुटता दिखाने में जुटे नेता
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के रूख को भांपकर भाजपाई रणनीतिकारों ने उनसे उलझनें के बजाय समन्वय का रास्ता अपनाते हुए पाला बदल को रोक दिया है. चर्चा है कि नीतीश कुमार के दबाव के बाद सीट बंटवारे समेत उनके हरेक मांग को स्वीकार करते हुए भाजपा के केन्द्रीय नेताओं ने अपने राज्य स्तरीय नेताओं को राजग सम्मेलन के माध्यम से एकजुटता दिखाने का निर्देश दिया है. इसी वजह से इंडिया समूह के प्रमुख घटक राजद के रणनीतिकारों ने भी लालू प्रसाद यादव व राहुल गांधी के बीच पटना में मीटिंग कराकर एकजुटता का संदेश देने का प्रयास किया है.
राहुल के ‘इंडियन स्टेट’ से लड़ाई के अलग-अलग मायने
पिछले दिनों लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने इंडियन स्टेट से लड़ाई लड़ने की बात कहकर राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा कर दी है. हालांकि उन्होंने संघ व भाजपा पर निशाना साधते हुए यह बयान दिया था लेकिन उनके इस बयान के बहुस्तरीय मायने निकाले जा रहे हैं. कोई इसे कांग्रेस की ओर से ध्रुवीकरण की राजनीति को आगे बढ़ाने की रणनीति मान रहा है तो कुछ लोग इसे राहुल गांधी को संघ व भाजपा से अकेले मोर्चा लेने वाले नेता के तौर पर स्थापित करने की रणनीति से जोड़कर देख रहा है. उल्लेखनीय है कि कांग्रेस नेता ने कहा कि ‘यह मत सोचो कि हम निष्पक्ष लड़ाई लड़ रहे हैं. इसमें कोई निष्पक्षता नहीं है. यदि आप मानते हैं कि हम भाजपा या आरएसएस नामक राजनीतिक संगठन से लड़ रहे हैं तो आप समझ नहीं पाएंगे कि क्या हो रहा है. ये हरेक संस्थान पर कब्जा कर लिए हैं इसलिए अब हम भाजपा व संघ के साथ भारतीय राज्य से ही लड़ रहे हैं’. हालांकि राहुल के बयान से नाराज लोगों ने कई राज्यों में मुकदमा भी दर्ज कराया है