अब शंका की सुई बैंक के अधिकारियों पर आईसीआईसीआई बैंक फ्रॉड मामला

संगठित गिरोह के नेटवर्क पर पुलिस का कड़ा प्रहार

 

नवभारत न्यूज

 

इंदौर. आईसीआईसीआई बैंक के कर्मचारियों द्वारा किए गए ऑनलाइन फ्रॉड के मामले में अब शंका की सुई बैंक के अधिकारियों तक पहुंच गई है.

 

 

 

बैंक के रिलेशनशिप मैनेजर कमल कुमावत ने बैंकिंग सॉफ्टवेयर का दुरुपयोग कर ग्राहकों के ओटीपी और पासवर्ड तक पहुंच बनाई थी , जिसको लेकर पुलिस को अब बैंक के अधिकारियों पर शंका हो रही हैं. जल्द ही पुलिस बैंक के अधिकारियों से जवाब तलब करने वाली है. पुलिस का मानना है कि फर्जी सिम कार्ड और ईमेल आईडी का इस्तेमाल कर ऑनलाइन शॉपिंग और ई-गोल्ड निवेश करने के मामले में जरुर किसी बैंक के बड़े अधिकारी का हाथ हो सकता है.

 

ज्ञात हो कि बुधवार को विजय नगर पुलिस ने आईसीआईसीआई बैंक के कर्मचारियों द्वारा किए जा रहे बैंकिंग फ्रॉड का पर्दाफाश करते हुए 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया था. आरोपियों ने मिल कर कई लोगों से ठगी की वारदात को अंजाम देते हुए करोड़ों रुपए की ठगी को अंजाम दिया था. जिसमें पुलिस ने कुछ खाताधारकों को ठगाए गए 52 लाख रुपयों की राशि भी वापस करवाई हैं. पुलिस की पूछताछ में एक अहम बात यह पता चली कि इनमें से एक आरोपी फ्लाईट से सिम को ठिकाने लगाने के लिए तेलंगाना जाता था .

 

आईसीआईसीआई बैंक से जुड़ा यह मामला न केवल बैंकिंग फ्रॉड का है, बल्कि यह बैंकिंग सिस्टम की खामियों को उजागर करता है. विजय नगर पुलिस को बैंक की ओर से सूचना मिली थी कि ग्राहकों के खाते बिना उनकी अनुमति के खाली हो रहे हैं. प्रारंभिक जांच में सामने आया कि बैंक के रिलेशनशिप मैनेजर और कुछ बाहरी लोगों का गठजोड़ इस फ्रॉड में शामिल है. पुलिस की सटीक योजना और सतर्कता से पूरे गिरोह का पर्दाफाश हुआ. पुलिस अब इस मामले में और गहराई से जांच कर रही है कि गिरोह ने और कितने ग्राहकों के साथ धोखाधड़ी की है, पुलिस को उम्मीद है कि यह घटना बैंकिंग सेक्टर में सुरक्षा उपायों को मजबूत करने के लिए एक सबक बनेगी.

 

संगठित गिरोह का काम करने का तरीका

 

इस गिरोह का संचालन अत्यंत योजनाबद्ध तरीके से किया गया. बैंक के रिलेशनशिप मैनेजर कमल कुमावत ने बैंकिंग सॉफ्टवेयर का दुरुपयोग कर ग्राहकों के ओटीपी और पासवर्ड तक पहुंच बनाई. इसके बाद फर्जी सिम कार्ड और ईमेल आईडी का इस्तेमाल कर ऑनलाइन शॉपिंग और ई-गोल्ड निवेश किया गया. खरीदे गए महंगे गैजेट्स जैसे आईफोन 16 प्रोमैक्स और सैमसंग अल्ट्रा को बेचा गया, जिससे भारी मुनाफा कमाया.

 

तकनीकी खामियों का फायदा

 

यह मामला बैंकिंग सिस्टम में मौजूद सुरक्षा खामियों पर भी सवाल खड़े करता है. बिना ओटीपी और ग्राहक की जानकारी के ऐसे बड़े लेन-देन कैसे हो सकते हैं? यह घटना बैंकिंग सेक्टर में मजबूत साइबर सुरक्षा उपायों की आवश्यकता को दर्शाती है.

 

पुलिस की रणनीति और सफलता

 

विजय नगर पुलिस ने टेक्नोलॉजी की मदद से गिरोह के लोकेशन को ट्रैक किया. गिरोह के एक सदस्य ने पुलिस को गुमराह करने के लिए फ्लाईट से तेलंगाना जाकर सिम कार्ड नष्ट किया, लेकिन पुलिस ने उसे भी गिरफ्तार कर लिया.

 

सवाल जो उठते हैं

 

 

बैंकिंग सिस्टम में ग्राहक डेटा की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जा सकती है?

क्या ऐसे मामलों में ग्राहकों की जिम्मेदारी भी तय होनी चाहिए?

संगठित बैंकिंग फ्रॉड रोकने के लिए क्या कड़े कानून बनाए जा सकते हैं?

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