गोलीकांड की जांच रिपोर्ट कोर्ट ने खारिज की याचिका

इंदौर रिपोर्ट विधानसभा पटल पर रखने की मांग करने वाली जनहित याचिका हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने निरस्त कर दी। हाई कोर्ट ने इस मामले में दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था, जो गुरुवार को सामने आया। नौ पेज के फैसले में कोर्ट ने कहा कि अधिनियम में रिपोर्ट विधानसभा पटल पर रखने की अधिकतम समय सीमा छह माह निर्धारित की है, लेकिन छह माह में रिपोर्ट विधानसभा पटल पर नहीं रखी जाए तो क्या होगा यह स्पष्ट नहीं है। मामले को छह-सात वर्ष बीत चुके हैं, ऐसे में अब इसका कोई मतलब नहीं। छह जून 2017 को किसान आंदोलन के दौरान मंदसौर में पुलिस और किसानों के बीच मुठभेड़ हो गई थी। पुलिस ने किसानों को रोकने के लिए गोली चलाई थी। इसमें पांच किसानों की मृत्यु हो गई थी। मामले की जांच के लिए सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति जेके जैन की अध्यक्षता में एक सदस्यीय आयोग गठित किया गया था। आयोग ने अपनी रिपोर्ट 13 जून 2018 को शासन को सौंप दी थी, लेकिन यह रिपोर्ट अब तक सार्वजनिक नहीं हुई है। रतलाम से पूर्व विधायक पारस सकलेचा ने जांच रिपोर्ट विधानसभा के पटल पर रखे जाने की मांग करते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। उनका कहना था कि इस रिपोर्ट के सार्वजनिक होने पर आमजन को पता चल सकेगा कि मंदसौर गोलीकांड किसकी लापरवाही से हुआ था। सड़क हादसे में जान गंवाने वाले बायलर आपरेटर के स्वजन को जिला न्यायालय ने 55 लाख रुपये क्षतिपूर्ति के रूप में देने के आदेश बीमा कंपनी को दिए हैं। ब्याज सहित यह राशि करीब 65 लाख रुपये होती है। बायलर आपरेटर ने कभी आयकर रिटर्न जमा ही नहीं किया था। दुर्घटना 9 मार्च 2022 को हुई थी। इंदौर निवासी कैलाश प्रजापत पीथमपुर की चिप्स कंपनी में बायलर आपरेटर थे। दुर्घटना वाले दिन वे दोपहिया वाहन से इंडोरामा से पीथमपुर की ओर जा रहे थे कि ट्राला एमएच 18 बीजी 7566 के चालक ने टक्कर मार दी। ट्राले का पहिया उनके ऊपर से गुजर गया, जिससे उनकी मृत्यु हो गई। उनकी पत्नी गुलाबबाई और अन्य स्वजन ने जिला न्यायालय में एडवोकेट राजेश खंडेलवाल के माध्यम से क्षतिपूर्ति के लिए प्रकरण प्रस्तुत किया। बीमा कंपनी ने यह कहते हुए क्षतिपूर्ति देने से बचने का प्रयास किया कि कैलाश ने कभी आयकर रिटर्न नहीं जमा किया था। उनकी बेसिक तनख्वाह 9860 रुपये थी। उन्हें जो लिवइनकेशमेंट मिलता था उसे उनकी आय में शामिल नहीं किया जा सकता।एडवोकेट खंडेलवाल ने तर्क रखे कि कैलाश के आकस्मिक निधन से परिवार निराश्रित हो गया है। उनकी पांच और एक वर्ष की बेटियों के सिर से पिता का साया हट गया है। तर्कों से सहमत होकर न्यायालय ने दुर्घटना कारित करने वाले ट्राले का बीमा करने वाली कंपनी को आदेश दिया कि वह कैलाश के स्वजन को 55 लाख 50 हजार रुपये क्षतिपूर्ति के रूप में दे। यह राशि पर दावा प्रस्तुति दिनांक से ब्याज भी देना होगा।

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