शाजापुर के पूर्व पुलिस अधीक्षक के खिलाफ आरोप पत्र तय

शाजापुर में भी गैंग बनाकर वसूलते थे लोगों से पैसे

 

शाजापुर, 14 अक्टूबर. दो दशक पहले भारतीय पुलिस सेवा के एक आईपीएस अधिकारी शाजापुर जिले में एसपी बनकर आए थे. जिन्होंने शाजापुर जिले में वसूली, भ्रष्टाचार का जो कीर्तिमान रचा है, संभवत: उनका रिकॉर्ड कोई तोड़ नहीं पाएगा. शाजापुर जिले में उनका कार्यकाल महज 8 से 9 महीने रहा, लेकिन इन महीनों में उन्होंने जिले में गैंग बनाकर जबरदस्त वसूली की है. अब एक मामले में उन्हें सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सरकार ने आरोप पत्र जारी किया है.

गौरतलब है कि सेवानिवृत्त पूर्व आईपीएस अधिकारी अनिल कुमार गुप्ता, जो शाजापुर एसपी रहे. उनके खिलाफ धोखाधड़ी में एक महिला दम्पत्ति को फंसाने के मामले में 8 साल पहले सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जांच हुई और अब उन पर कार्यवाही की तैयारी है. सरकार ने उनके खिलाफ आरोप पत्र जारी कर दिया है. सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी अनिल कुमार गुप्ता साइबर सेल में पदस्थ थे, तो पुणे निवासी गुलशन जोहर और उनकी एनआरआई डॉक्टर बेटी रीनी जोहर को पुलिस की टीम भेजकर भोपाल बुलाया और धारा 420 का प्रकरण बनाया. गिरफ्तार ना करने के एवज में अनिल कुमार गुप्ता ने 10 लाख रुपए की मांग की थी, जिसमें से कुछ राशि दे दी गई थी. यहां तक कि गिरफ्तार कर उन्हें जेल भी भेज दिया था. जेल से छूटने के बाद दोनों ने सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन दायर की थी और सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को जांच के आदेश दिए थे. साथ ही 5-5 लाख रुपए क्षतिपूर्ति देने के आदेश दिए थे. इस मामले में पुलिस मुख्यालय ने जांच की और निचले स्तर के अधिकारियों पर कार्यवाही कर दी, लेकिन सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी अनिल कुमार गुप्ता पर कार्यवाही ना होने से गुलशन जोहर और उनकी बेटी फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे और सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को दोबारा जांच के निर्देश दिए. तब जाकर गृह विभाग ने आईपीएस अधिकारी अनिल कुमार गुप्ता को आरोप पत्र जारी किया.

 

शाजापुर में कुख्यात थे वसूली के मामले में…

 

भाजपा की तत्कालीन मुख्यमंत्री उमा भारती के कार्यकाल में शाजापुर एसपी रहे अनिल कुमार गुप्ता अवैध वसूली और भ्रष्टाचार के मामले में कुख्यात थे. उन्होंने अपनी अलग से एक गैंग बना रखी थी, जो शाजापुर जिले के अलावा अन्य जिलों से भी अवैध वसूली करके लाती थी. 8 महीने के कार्यकाल में कई मामलों में जमकर भ्रष्टाचार किया. पूर्व जिलाध्यक्ष स्व. नेमीचंद जैन से उनका विवाद हुआ और उसके बाद उनका तबादला शाजापुर से किया गया. हिंदू संगठन के बड़े पदाधिकारी के रिश्तेदार होने के कारण उन्हें शाजापुर में बतौर एसपी की पोस्टिंग मिली थी. भ्रष्ट कार्यप्रणाली के चलते अपनी पूरी सेवा में वे कहीं भी मैदानी इलाके में आईजी या डीआईजी के पद पर तैनात नहीं रहे.

 

रूक सकती है पेंशन…

 

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सरकार ने सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी अनिल कुमार गुप्ता के खिलाफ आरोप पत्र जारी किया है. 30 सितंबर 2024 को वे एडीजी पद से निवृत्त हुए और साइबर सेल में रहते हुए धोखाधड़ी का फर्जी केस बनाने के मामले में सरकार ने उन्हें आरोप पत्र जारी किया है. हो सकता है कि उनकी पेंशन रूक सकती है.

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