राशि वसूलने वाले कर्मचारी दुकानदारों को नहीं देते रसीद

बाजार बैठक का शुल्क वसूल रही नगर परिषद, ठेका प्रथा बंद होने के बाद आखिर किसकी जेब में जा रही राशि

 

सुसनेर, 14 अक्टूबर. शहर के प्रमुख बाजार में सडक़ों पर लगने वाली अस्थाई दुकानों से नगर परिषद द्वारा बाजार बैठक के रूप में बिना कोई रसीद दिए शुल्क की वसूली की जा रही है. जब ठेका प्रथा संचालित होती थी, तब बकायदा ठेकेदार के द्वारा दुकानदारों से ली जाने वाली शुल्क की पर्ची प्रदान की जाती थी, जिस पर दिनांक व अन्य जानकारी दर्ज होती थी, लेकिन करीब 1 साल से ठेका प्रथा बंद होने के बाद से नगर परिषद अपने स्तर से राशि की वसूली कर रही है, लेकिन बदले में दुकानदारों को दी जाने वाली रसीद नहीं दी जा रही है.

ऐसे में सवाल यह उठता है कि बाजार बैठक के रूप में प्रत्येक दुकानदार से वसूली जाने वाली 10 रुपए शुल्क की राशि आखिरकार किसकी जेब में जा रही है. सूत्रों की मानें तो इसमे लाखों रुपए का गड़बड़झाला सामने आ सकता है. यदि जिम्मेदार अधिकारी इस मामले की बारिकी से जांच करें तो. आपको बता दें कि 15 जून 2023 के बाद नगरीय विकास एवं आवास विभाग मध्यप्रदेश शासन के उप सचिव आरके कार्तिकेय ने आदेश जारी करते हुए सभी नगर निगम आयुक्त नगर पालिका और नगर परिषदों में ठेकेदारों के माध्यम से की जाने वाली बाजार बैठक वसूली पर प्रतिबंध लगा दिया था और वसूली शुल्क वाले ठेकों को निरस्त कर दिया गया था, लेकिन उसके बाद नगर में सडक़ों पर बैठकर या हाथ ठेले पर व्यवसाय संचालित करने वाले करीब 400 के लगभग दुकानदारों से नगर परिषद राशि की वसूली कर रही है.

दुकानदार बोले नप के कर्मचारी नहीं देते हैं रसीद

नगर की सडक़ पर हाथ ठेला लगाकर के व्यवसाय करने वाले दुकानदार कन्हैयालाल, पर्वतसिंह, राकेश जादमे समेत कई अन्य दुकानदारों ने बताया कि नगर परिषद के द्वारा सालों से हमसे 10 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से शुल्क की वसूली की जाती है, लेकिन अधिकांश बार जो कर्मचारी राशि की वसूली करने आते हैं वे पर्ची ही नहीं देते हैं. बीते कुछ सालों में राशि वसूलने वाले परिषद के कर्मचारियों में भी समय-समय पर बदलाव होता आया है. ऐसे में नए कर्मचारी को यह जिम्मेदारी सौंप दिए जाने के बाद भी कई बार पुराने कर्मचारी ही इन दुकानदारों से राशि की वसूली करके चले जाते हैं.

इस प्रकार के दुकानदारों से वसूली जाती है राशि

सडक़ पर बैठकर व्यवसाय करने वाले फुटकर व्यापारी, हाथ ठेला संचालक, तहबाजारी, रेहड़ी वाले या जो 4 पहिया वाहनों पर अपना सामान बेचने का कार्य करते हैं, उनसे बाजार बैठक के रूप में राशि की वसूली की जाती है.

 

नगर परिषद ने पास नहीं किया प्रस्ताव, फिर भी वसूल रही राशि…

 

नगरीय विकास एवं आवास विभाग से जारी किए इस आदेश में बताया गया था कि नगर परिषद अपने स्तर पर विशेष सम्मेलन आयोजित कर इसको लेकर प्रस्ताव पारित कर सभी पार्षदों व नगर परिषद के जिम्मेदारों की मंजूरी होने पर बाजार बैठक शुल्क की वसूली अद्र्धवार्षिक या वार्षिक रूप में कर सकती है, लेकिन आश्चर्य की बात तो यह है कि नगर परिषद ने इस संबंध में कोई प्रस्ताव ही पारित नहीं किया, लेकिन उसके बाद भी बाजार बैठक के रूप में दुकानदारों से राशि की वसूली की जा रही है. इस राशि का परिषद क्या उपयोग करती है, इसको लेकर भी कोई जवाब जिम्मेदार नहीं दे पाए.

 

इनका कहना है

बाजार बैठक शुल्क की वसूली को लेकर शासन के द्वारा जारी किए गए आदेश के अनुसार परिषद को वार्षिक व अद्र्धवार्षिक रूप से दुकानदारों से राशि की वसूली की जाना थी, लेकिन शहर के दुकानदार वार्षिक व अद्र्धवार्षिक रूप में शुल्क नहीं दे पाते हैं. इसलिए उनसे प्रतिदिन राशि की वसूली की जाती है. कर्मचारी यदि दुकानदारों को टैक्स वसूली की पर्ची नहीं दे रहा है, तो जांच करवाई जाकर उचित कार्रवाई की जाएगी.

-ओपी नागर, सीएमओ, नगर परिषद सुसनेर

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