भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर की पाकिस्तान यात्रा की चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है. 9 वर्षों के बाद किसी भारतीय विदेश मंत्री की यह पहली पाकिस्तान यात्रा है. इसके पहले 2015 में सुषमा स्वराज ने इस्लामाबाद की यात्रा की थी. वैसे देखा जाए तो 8 वर्षों के बाद भारत सरकार का कोई इतना महत्वपूर्ण प्रतिनिधि पाकिस्तान की यात्रा कर रहा है. इसके पहले 2016 में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नवाज शरीफ से मिलने लाहौर गए थे. भारत ने अपने विदेश मंत्री को भेज कर सधी हुई कूटनीति का परिचय दिया है. शंघाई सहयोग परिषद की बैठक में भाग लेकर भारत ने अंतरराष्ट्रीय राजनयन के नॉर्म्स का पालन किया है. इसी के साथ पाकिस्तान से द्विपक्षीय वार्ता को ठुकरा कर अपने सख्त रवैए का भी परिचय दिया है. भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एससीओ की बैठक में आतंकवाद के खिलाफ जिस कड़े शब्दों में निंदा की उसे पाकिस्तान में पाकिस्तान को नसीहत के तौर पर देखा जा रहा है. जाहिर है भारत आक्रामक और संतुलित कूटनीति के सहारे दुनिया को अपना संदेश देने में सफल हुआ है. भारतीय विदेश मंत्री की पाकिस्तान यात्रा को पाकिस्तान में हाथों-हाथ लिया गया. पाकिस्तान के आवाम, वहां की मीडिया और शाहबाज शरीफ की सरकार ने प्रोटोकॉल से परे जाकर भारतीय विदेश मंत्री का गर्म जोशी से स्वागत किया. पाकिस्तान सरकार के अनेक मंत्रियों ने बार-बार यह संकेत दिए कि पाकिस्तान खुले मन के साथ भारत के साथ वार्ता करने के लिए तैयार है. पाकिस्तान की सरकार भारत के साथ बातचीत के लिए लगभग गिड़गिड़ा रही है लेकिन भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक पाकिस्तान आतंकवादियों को प्रश्रय देना बंद नहीं करता, तब तक भारत बातचीत नहीं करेगा.
एससीओ बैठक सालाना आयोजित की जाती है. यह बैठक संगठन के व्यापार और आर्थिक एजेंडे पर केंद्रित होती है. भारत इस परिषद का ताकतवर सदस्य है. भारत यदि इस बैठक में भाग लेने के लिए मंजूरी नहीं देता तो इसका गलत संदेश जाता. इसलिए भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर पाकिस्तान तो गए लेकिन उन्होंने द्विपक्षीय चर्चा से दूरी बनाए रखी. उन्होंने पाकिस्तान के नेताओं से केवल शिष्टाचार और औपचारिकता के चलते ही नपे तुले शब्दों में चर्चा की.बहरहाल,भारत के विदेश मंत्री की पाकिस्तान कितनी उत्सुकता से प्रतीक्षा कर रहा था यह इसी बात से जाहिर है कि प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ के बड़े भाई पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरी$फ ने एक इंटरव्यू में भारत और पाकिस्तान के अच्छे संबंधों की आवश्यकता पर बोल दिया और कहा कि यह बहुत अच्छा रहता अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी एससीओ शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेते.मुझे उम्मीद है कि निकट भविष्य में उन्हें (पीएम मोदी) और हमें एक साथ बैठने का मौका मिलेगा. इससे पहले नवाज शरीफ भारत के चंद्रायन-3 के लांचिंग की तारीफ कर चुके हैं. उन्होंने भारत के आर्थिक विकास को भी सराहा है.मई 2024 में नवाज शरीफ ने ‘भारत से वादा तोडऩे को अपनी गलती’ की बात कबूल की थी. पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष जनरल असीम मुनीर ने भी पिछले दिनों अपनी सेना को संबोधित करते हुए कहा था कि कारगिल में उनकी सेना( पाकिस्तानी सेना) ने देश के लिए बलिदान दिया. जाहिर है पाकिस्तान लगातार भारत को यह संकेत दे रहा है कि वो अपने पड़ोसी देश से संबंध सुधारना चाहता है.बहरहाल, भारतीय विदेश मंत्री की पाकिस्तान यात्रा से एक बार फिर से दुनिया ने देखा कि भारत किस तरह आक्रामक और संतुलित विदेश नीति के सहारे विश्व मंच पर अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कर रहा है. भारत ने शंघाई सहयोग परिषद की बैठक में भी पाकिस्तान को उसी के मंच से लताड़ा है. जाहिर है भारतीय कूटनीति की इन दिनों दुनिया भर में चर्चा है.