बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अत्यंत महत्वपूर्ण फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन के लिए गाइडलाइन भी तय की है. बुलडोजर एक्शन के खिलाफ कड़ा रवैया अपनाते हुए देश की सर्वोच्च अदालत ने कहा कि यदि गाइडलाइन के अनुसार कार्रवाई नहीं की तो इसे कोर्ट की अवमानना माना जाएगा. इस फैसले का सबसे महत्वपूर्ण पक्ष यह है कि इसमें अधिकारियों की जवाबदेही भी तय की गई है. इसके अलावा एक अन्य महत्वपूर्ण बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के बुलडोजर एक्शन पर रोक नहीं लगाई है. केवल यह निर्देशित किया है कि बुलडोजर एक्शन कानूनी प्रक्रिया के तहत किया जाए.जाहिर है सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के बाद अब बुलडोजर एक्शन पर की जा रही सियासत समाप्त होनी चाहिए.कुल मिलाकर यह अत्यंत महत्वपूर्ण और स्वागत योग्य निर्णय हैं.शीर्ष अदालत का यह कहना अत्यंत महत्वपूर्ण है कि प्रशासन जज नहीं बन सकता है.फैसले सुनाने का काम कोर्ट का है.सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि लोगों को कार्रवाई से पहले समय देना चाहिए, उनका पक्ष सुना जाना चाहिए और उन्हें नोटिस देना चाहिए. नोटिस डाक से भेजें और घर पर भी चिपकाएं.यह भी बताना चाहिए कि मकान का कौन सा हिस्सा अवैध है. 3 माह में पोर्टल बनाकर उस पर सारी जानकारी डाली जाए. नोटिस की जानकारी डीएम को भी दी जानी चाहिए .अदालत ने कहा कि नोटिस के बाद कम से कम 15 दिन का समय देना होगा. डिमोलिशन की कार्रवाई की वीडियोग्राफी होनी चाहिए. दरअसल हमारे संविधान की यह विशेषता है कि यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों पर आधारित है. इसीलिए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमारे संविधान में दोषियों को भी अधिकार मिले हुए हैं. अनुच्छेद 21 के तहत सिर पर छत होना भी जीने का अधिकार है. प्राकृतिक न्याय का महत्वपूर्ण सिद्धांत यह भी है कि आरोपी के अपराध की सजा पूरे परिवार को नहीं दी जा सकती.न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने सुनवाई करते हुए कहा कि सिर्फ आरोपी होने पर घर नहीं गिराया जा सकता, बिना मुकदमा किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता.बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों के बाद अब बुलडोजर एक्शन कानूनी प्रक्रिया के अनुसार किया जाएगा. जाहिर है अब इस प्रक्रिया पर विवाद नहीं होगा. दरअसल बुलडोजर एक्शन चर्चा में तब आया जब 2017 में योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश में अपराधों को कम करने के लिए बुलडोजर एक्शन का सहारा लिया ताकि अपराधियों में भय व्याप्त हो. उनके कड़े रवैया से उत्तर प्रदेश में कानून और व्यवस्था की स्थिति में सुधार भी आया है. उन्होंने दुर्दांत और कुख्यात माफियाओं को सबक सिखाने के लिए उनके अवैध निर्माणों पर बुलडोजर चलवाए. उत्तर प्रदेश में विकास दुबे , अतीक अहमद, अफजाल अंसारी जैसे कुख्यात अपराधियों और आजम खान जैसे नेताओं के खिलाफ बुलडोजर की कार्रवाई की गई. इन ने सैकड़ो एकड़ जमीन पर कब्जा कर लिया था. इनमें कई निजी थी और अधिकांश सरकारी. योगी आदित्यनाथ के बुलडोजर एक्शन के चर्चे सिर्फ भारत में ही नहीं दुनिया के भी कई देशों में होने लगे. बाद में इस फार्मूले को भाजपा की लगभग सभी सरकारों ने अपनाया. बुलडोजर एक्शन जनता को इसलिए भी पसंद आता है क्योंकि इससे अपराधियों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई का एहसास होता है. हमारी न्याय प्रक्रिया इतनी धीमी है कि कई बार आम जनता को लगता है कि माफियाओं पर कानून का बस चलता ही नहीं है ! जहिर है जब अपराधियों के खिलाफ बुलडोजर चलता है तो जनता को अच्छा लगता है.बहरहाल, बुलडोजर एक्शन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के फैसले और गाइडलाइंस ने इस विवाद को एक तरह से समाप्त कर दिया है. कुल मिलाकर यह बेहद महत्वपूर्ण और स्वागत योग्य निर्णय है.