दिल्ली डायरी
प्रवेश कुमार मिश्र
288 सदस्यों वाली महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की तैयारी के बीच महाविकास अघाड़ी यानी एमवीए के अंदर सबकुछ सामान्य नहीं है. सभी दल ज्यादा से ज्यादा सीटों पर लड़ने के लिए एक दूसरे पर दबाव बनाने में जुटे हैं. चर्चा है कि 120-125 सीट पर कांग्रेस लड़ना चाहती है जबकि उद्धव ठाकरे की शिवसेना यूबीटी 100-105 तथा शरद पवार की एनसीपी (एसपी) 90-95 सीटों पर अपनी मजबूत आधार बताकर गठबंधन चाहते हैं. राज्यस्तरीय बैठकों में अबतक सहमति नहीं बन पाने के कारण अब बैठक दिल्ली में होने लगी है. राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि कांग्रेसी वार्ताकार जानबूझकर हरियाणा व जम्मू-कश्मीर के परिणाम तक इस विषय को आगे बढ़ाने के फिराक में हैं जबकि गठबंधन साथी जल्द निर्णय के लिए दबाव बना रहे है. विभिन्न पक्षों की ओर से कहा जा रहा है कि कांग्रेस लोकसभा चुनाव परिणाम को आधार बनाकर विधानसभा में सीट चाहती है जबकि सहयोगी इस फार्मूले के साथ आगे बढ़ने को तैयार नहीं हैं. इसलिए तनाव बना हुआ है.
दुकानों पर मालिकों का नाम लिखने को लेकर बहस
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पिछले दिनों सभी ढाबों, होटलों व खाने पीने वाले दुकानदारों को दुकान के सामने अपने नाम व कर्मचारियों के नाम लिखने की अनिवार्यता किए जाने पर आरंभ हुई राजनीति के बीच कांग्रेस शासित राज्य हिमाचल प्रदेश में भी ऐसे ही नियम की घोषणा पर राजनीतिक बहस आरंभ हो गई है. हालांकि हिमाचल सरकार ने बढ़ते विवाद को भांपकर इस आदेश को ठंडे बस्ते में डाल दिया है लेकिन इस विषय पर दिल्ली में चर्चा बंद होने को तैयार नहीं है. कोई इसे जातियों से जोड़कर देख रहा है तो कोई धर्म का आधार बनाकर विरोध कर रहा है. हिमाचल सरकार के बदले रूख के बाद लोगों की निगाह उत्तर प्रदेश सरकार पर थी परंतु उत्तर प्रदेश की सरकार अभी भी इस निर्णय को लेकर सख्त रुख के साथ खडी़ दिख रही है.
जन सुराज के आगाज से बिहार की राजनीति में उथल-पुथल
दो वर्ष की पदयात्रा के बाद 2 अक्टूबर को अस्तित्व में आने जा रही है पीके की जन सुराज पार्टी को लेकर बिहार की राजनीति में जबरदस्त चर्चा हो रही है. प्रशांत किशोर के दावों के कारण सभी महत्वपूर्ण पार्टियों के रणनीतिकार परेशान हो गए हैं. जन अभियान के गर्भ से उदय हो रही जन सुराज पार्टी ने जिस तरह से प्रांतीय स्वाभिमान को उजागर कर परिवारवाद पर हमला करते हुए विकास को मुद्दा बनाया है उसके कारण एक ही प्रकार से परंपरागत राजनीति करने वाले राजनीतिक दलों में बेचैनी बढ़ गई है.
मोदी सरकार अन्य दलों को जोड़ने में जुटी
टीडीपी व जदयू के कंधे पर टिकी केन्द्र की नरेंद्र मोदी सरकार सदन के अंदर अपनी ताकत बढ़ाने के लिए विभिन्न दलों को साधने में जुटी हुई है. दिल्ली के राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि उद्धव ठाकरे और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन को अपने पक्ष में करने के लिए भाजपाई रणनीतिकारों की टीम लगी हुई है. इस संबंध में बहुस्तरीय वार्ताकारों की टीम चर्चा कर रही है. कहा जा रहा है कि भाजपा की ओर से महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में उद्धव ठाकरे को महत्व के साथ तालमेल करने का प्रस्ताव किया गया है लेकिन ठाकरे की ओर से कोई ठोस जवाब नहीं दिया गया है. फिर भी भाजपा के नेता उम्मीद लगाए बैठे हैं. तमिलनाडु को केंद्र से विशेष पैकेज और महत्वपूर्ण मंत्रालयों का प्रस्ताव देकर डीएमके को राजग खेमे में शामिल करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं.