मेट्रो पॉलीटियन सिटी जोड़ने की ओर बढ़ा एक कदम
वीरेंद्र वर्मा
इंदौर: राज्य शासन ने मैट्रो पॉलीटियन सिटी विकसित करने की ओर कदम बढ़ा दिए हैं. इस कड़ी में उज्जैन, इंदौर और पीथमपुर तक मैट्रो रेल लाइन का फिजीब्लिटी सर्वे रिपोर्ट बन गई है. अब डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. इसके तहत पहले इंदौर से उज्जैन फिर इंदौर से पीथमपुर तक दो भागों में डीपीआर बनेगी.देश में इंदौर को महानगर की श्रेणी में शामिल करने हेतु राज्य सरकार ने इंफ्रास्ट्रख्र विकसित करने की प्रक्रिया में तेजी से कदम बढ़ा दिए हैं. इसलिए सबसे पहले जनता के लिए परिवहन साधनों का विकास करना पड़ेगा, ताकि आवागमन सुलभ होगा तो रोजगार बढ़ेंगे.
प्रदेश सरकार ने मैट्रो पॉलीटियन एरिया में शामिल शहरों को एक दूसरे से जोड़ने के लिए मैट्रो रेल लाइन डालना पहला काम माना है. इस कड़ी में उज्जैन से इंदौर और इंदौर से वाया महू पीथमपुर मैट्रो रेल का फिजीब्लिटी सर्वे पूरा हो चुका है. अब उक्त मेट्रो रेल लाइन डालने की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाने का काम चल रहा है. डीपीआर बनने के बाद मैट्रो को दो भागों में विकसित किया जाएगा. पहला भाग सिंहस्थ 2028 के लिए मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव की मंशा अनुरूप उज्जैन से भौंरासला तक 45 किलोमीटर लंबा बनेगा. दूसरा भाग लक्ष्मीबाई नगर से महू पीथमपुर तक 40 किलोमीटर लंबा होगा. मैट्रो रेल का काम यदि जल्दी शुरू करना है तो राज्य शासन को मेट्रो पॉलीटियन सिटी एरिया प्लान तेजी से बनाना होगा। ताकि इन्फ्रास्ट्रख्र डेवलप होने में परेशानी नहीं हो.
डीपीआर प्रक्रिया में
मेट्रो रेल के जनसंपर्क अधिकारी हिमांशु ग्रोवर ने कहा कि फिजीब्लिटी सर्वे हो चुका है. डीपीआर बनाने का काम अंडर प्रोसेस में है. डीपीआर दिल्ली मैट्रो रेल कॉरपोरेशन बना रहा है.
फिजीब्लिटी और डीपीआर में दस करोड़ से ज्यादा खर्च
मैट्रो रेल लाइन का भौंरासला से उज्जैन और लक्ष्मीबाई नगर से पीथमपुर तक 85 किलोमीटर लंबे मार्ग का फिजीब्लिटी सर्वे 3 लाख रुपए प्रति किलोमीटर और डीपीआर तैयार करने का 9 लाख रुपए प्रति किलोमीटर खर्च हो रहा है. टोटल उज्जैन से पीथमपुर तक उक्त दोनों कामों पर 10 करोड़ 20 लाख रुपए खर्च होंगे.
डीएमआरसी कर रहा है डीपीआर का काम
दिल्ली मैट्रो रेल कॉरपोरेशन मेट्रो पॉलीटियन क्षेत्र में मेट्रो रेल विकास की फिजीब्लिटी रिपोर्ट दे चुका है. डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाने की प्रक्रिया चल रही है. डीपीआर बनने के बाद तय होगा कि काम टेंडर और लागत कितनी आएगी