भारत में इंश्योरेंस मार्केट की ग्रोथ को किन चीजों से मिल सकती है मदद– सुप्रिया राठी

मुंबई 30सितंबर -Swiss Re की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत में इंश्योरेंस का कुल पेनेट्रेशन महज 4.2 फीसदी है. वहीं, वैश्विक स्तर पर इंश्योरेंस का पेनेट्रेशन करीब 7.3 फीसदी है. ब्रिटेन जैसे विकसित देश में यह 11 फीसदी और अमेरिका में 12 फीसदी है. इस मामले में हम मलेशिया और थाईलैंड जैसे अपने पड़ोसी देशों से काफी पीछे हैं. भारत में लाइफ इंश्योरेंस का पेनेट्रेशन 3.2 फीसदी पर है जो 3.3 फीसदी के वैश्विक औसत के लगभग बराबर है. लाइफ इंश्योरेंस को छोड़कर अन्य इंश्योरेंस सेक्टर का पेनेट्रेशन काफी कम है और यह चार फीसदी के वैश्विक औसत के मुकाबले महज एक फीसदी है.

रेग्युलेटर की डेवलपमेंट से जुड़ी भूमिका

इकोनॉमी की ओवरऑल ग्रोथ के लिए इंश्योरेंस सेक्टर अहम है. IRDAI ने नॉन-लाइफ इंश्योरेंस इंडस्ट्री को स्पष्ट रूप से नॉन-लाइफ इंश्योरेंस इंडस्ट्री के पेनेट्रेशन को एक फीसदी के वर्तमान स्तर से बढ़ाकर फाइनेंशियल ईयर 2026-27 तक 2.5 फीसदी करने का टार्गेट दिया है. इसके लिए रेग्युलेटर डिस्ट्रिब्युशन चैनल के दायरे के विस्तार, नए प्रोडक्ट की फाइलिंग से जुड़े नियमों को सरल बनाने एवं पूरे वैल्यू चेन में टेक्नोलॉजी के अपनाने पर जोर देता रहा है. 2047 तक सभी को इंश्योरेंस के दायरे में लाने के IRDAI के लक्ष्य के लिहाज से ये सभी हालिया पहल स्वागत योग्य हैं.

बीमा से जुड़ी जागरूकता और शिक्षा

भारत में बीमा (इंश्योरेंस) को लेकर जागरूकता काफी कम है. सभी स्टेकहोल्डर्स, इंश्योरेंस कंपनियों, रेग्युलेटर, इंटरमीडियटरीज को डिजिटल मार्केटिंग एवं पारंपरिक मीडिया चैनलों के जरिए जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है. म्यूचुअल फंड रेग्युलेटर AMFI ने ‘म्यूचुअल फंड सही है’ नाम से एक सफल अभियान चलाया है. इससे बचत के एक टूल के रूप में म्यूचुअल फंड को लेकर जागरूकता बढ़ाने में मदद मिली है. इंश्योरेंस के लिए भी स्टेकहोल्डर्स द्वारा इसी तरह की पहल किए जाने की जरूरत है. इंश्योरेंस इंडस्ट्री को महामारी की वजह से जोखिम से जुड़ी जागरूकता को लेकर फायदा हुआ है. इंश्योरेंस कंपनियों को इसलिए इस मौके का इस्तेमाल भारत के मार्केट में अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए करना चाहिए.

ग्रामीण क्षेत्रों में इंश्योरेंस के वितरण पर जोर

भारत में इंश्योरेंस सेक्टर का पेनेट्रेशन बढ़ाने के लिए यह बहुत अहम है कि अनइंश्योर्ड ग्रामीण इलाकों और शहर की गरीब आबादी को इंश्योरेंस कवरेज के दायरे में लाया जाए. इंश्योरेंस सेक्टर को मार्केट के हिसाब से उपयुक्त इनोवेटिव और किफायती इंश्योरेंस प्रोडक्ट डिजाइन करने की जरूरत है. ऑनलाइन सेल्स के साथ-साथ सीएससी, पोस्ट ऑफिस में एजेंट को रखने के विकल्प तलाशे जाने चाहिए. यहां पर एनजीओ/ सोशल सेक्टर में सहयोग भी भारत के सुदूर ग्रामीण इलाकों तक कनेक्टिविटी में मददगार साबित हो सकता है.

प्रोडक्ट इनोवेशन, किफायती पेशकश. पीओएस प्रोडक्ट्स के दायरे का विस्तार

आईआरडीएआई ने लगभग सभी नॉन-लाइफ इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स और कुछ लाइफ इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स के लिए ‘यूज एंड फाइल’ प्रोसेस को पेश किया है. इंश्योरेंस कंपनियों को नए और इनोवेटिव प्रोडक्ट्स डिजाइन करने होंगे, जो सरल भी हो और किफायती भी.

आईआरडीएआई को PoSP प्लेटफॉर्म पर अधिक इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स की बिक्री की इजाजत देनी चाहिए. इससे इंश्योरेंस को लेकर जागरूकता बढ़ेगी और इसके साथ-ही-साथ इंश्योरेंस सेक्टर का पेनेट्रेशन भी बढ़ेगा. इंश्योरेंस कंपनियों को कम कीमत के इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स इनोवेट करने चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इनोवेटिव और अफोर्डेबल इंश्योरेंस पॉलिसी ज्यादा-से-ज्यादा लोगों के लिए उपलब्ध हो. इंडिविजुअल साइबर, पालतु पशु/ मवेशी इंश्योरेंस, नौकरी चले जाने से जुड़ा इंश्योरेंस, लोकल ट्रेवल इंश्योरेंस, लैपटॉप और मोबाइल इंश्योरेंस, हॉस्पिटल कैश इंश्योरेंस सहित अन्य इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स इस तरह के बीमा उत्पादों के अच्छे उदाहरण हो सकते हैं.

इंडिविजुअल रिटेल कंज्यूमर की जरूरत के हिसाब से इन इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स को डिजाइन किया जा सकता है. इससे भारतीय उपभोक्ताओं को इंश्योरेंस को लेकर एक आइडिया होगा और वे इसके फायदे जान सकेंगे.

 टेक्नोलॉजी एवं इनोवेशन

भारत में इंश्योरेंस इंडस्ट्री तेजी से बदल रही है. डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन और बिग डेटा से काफी अधिक बदलाव आ रहा है. वर्तमान में 150 से अधिक इंश्योरेंस टेक स्टार्टअप भारत में ऑपरेट कर रहे हैं. क्लेम के इंटीमेशन और सेटलमेंट में टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से प्रक्रिया आसान हुई है. इससे TATs में कमी आई है. इससे ग्राहकों में काफी अधिक विश्वास पैदा होगा. मशीन लर्निंग इंश्योरेंस कंपनियों के ऑपरेशन और शिकायत निवारण तंत्र की दक्षता को काफी अधिक बढ़ा सकते हैं. इतना ही नहीं मशीन लर्निंग क्लेम फ्रॉड में कम ला सकते हैं और सेटलमेंट को ऑटोमेट कर सकते हैं. पिछले कुछ वर्षों में इंश्योरेंस पॉलिसी के पूरे सेल्स साइकिल में टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से इंडस्ट्री में बड़ा बदलाव आ जाएगा. इससे इंश्योरेंस के पेनेट्रेशन को बढ़ाने में भी मदद मिलेगी.

सरकार द्वारा प्रायोजित इंश्योरेंस स्कीम को लॉन्च करना

सरकार की प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, आयुष्मान जन आरोग्य योजना, फसल बीमा योजना और प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना देश में इंश्योरेंस की कवरेज बढ़ाने वाली उल्लेखनीय योजनाओं में शामिल हैं. कम आय वाले परिवारों के लिए उनके घर और वाहन से जुड़ी इंश्योरेंस स्कीम से ग्रोथ में मदद मिलेगी.

सुप्रिया राठी , होलटाइम डायरेक्टर,आनंद राठी इंश्योरेंस ब्रोकर्स प्रा.लिमिटेड-

 

नव भारत न्यूज

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

महज़ निष्कासन से हो पाएगा भाजपा का शुद्धिकरण ... ?

Fri Sep 30 , 2022
महाकौशल की डायरी अविनाश दीक्षित नौकरी दिलाने के बहाने भोपाल में महिला की अस्मत लूटने के आरोपी शशिकांत सोनी को भले ही भाजपा ने 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया है किंतु जबलपुर के भाजपाई हलकों में इस बात की चर्चा जोरों से चल रही है कि शशिकांत सोनी […]

You May Like