आपराधिक प्रकरण में सजा से दंडित होने पर विभागीय जांच आवश्यक नहीं

सेवा से पृथक किये जाने के खिलाफ दायर याचिका खारिज

जबलपुर। हाईकोर्ट जस्टिस संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि आपराधिक प्रकरण में सजा से दंडित होने पर सेवा से पृथक किये जाने के लिए विभागीय जांच आवश्यक नहीं है। एकलपीठ ने मध्य प्रदेश सिविल सेवा नियमों का हवाला देते हुए याचिका को खारिज कर दिया।
अनूपपुर निवासी ज्ञानेन्द्र कुमार दुबे की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि न्यायालय ने धारा 409 के तहत उसे दोषी ठहराते हुए दस साल के कारावास की सजा से दंडित किया है। वह सहायक अध्यापक के पद पर पदस्थ था। आपराधिक प्रकरण में सजा से दंडित किये जाने के कारण विभाग ने उसे सेवा से पृथक कर दिया। याचिका में कहा गया था कि सेवा से पृथक करने के पहले उसके खिलाफ विभागीय जांच नहीं की गयी।
याचिकाकर्ता की तरफ से तर्क दिया गया कि उसने सजा के खिलाफ उसने अपील दायर की थी। अपील की सुनवाई करते हुए न्यायालय ने सजा को निलंबित कर दिया है। एकलपीठ ने याचिका को खारिज करते हुए उक्त आदेश जारी किये। एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि अपील में उसे दोषमुक्त करार दिया जाता है तो वह सेवा में बहाल किये जाने के दावा करते हुए विभाग के समक्ष आवेदन पेश कर सकता है। विभाग द्वारा नियमानुसार उसके आवेदन का निराकरण किया जायेगा।

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