रोम, 14 दिसंबर (वार्ता) संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) ने हाल ही में प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा है कि जिन क्षेत्रों में पानी की कमी है, वहाँ मांग बढ़ने के साथ ताजे पानी के संसाधनों पर दबाव भी बढ़ रहा है।
अक्वास्टैट (2025) वॉटर डेटा स्नैपशॉट के नाम से प्रकाशित इस रिपोर्ट में नवीकरणीय जल उपलब्धता पर अद्यतन जानकारी दी गई है। नवीकरणीय जल का अर्थ है, जल की वह मात्रा जो हर साल वर्षा के माध्यम से नदियों और भूजल भंडारों में फिर से भर जाती है। रिपोर्ट के अनुसार, पिछले एक दशक में प्रति व्यक्ति नवीकरणीय जल उपलब्धता में सात प्रतिशत की गिरावट आई है। यह 5,326 से 5,719 घन मीटर हो गई है।
उत्तरी अफ्रीका, दक्षिणी एशिया और पश्चिमी एशिया जैसे क्षेत्रों में प्रति व्यक्ति ताजा पानी के संसाधन सबसे कम हैं। कुवैत, संयुक्त अरब अमीरात, क़तर और यमन उन देशों में शामिल हैं जहाँ कुल नवीकरणीय जल उपलब्धता सबसे कम है।
रिपोर्ट के अनुसार, हाल के वर्षों में कई क्षेत्रों में “ताजे पानी की निकासी भी बढ़ी है, जिससे पहले से दबाव झेल रही नदी घाटियों और भूजल भंडारों पर और बोझ बढ़ गया है। इसमें कहा गया है, “उत्तरी अफ्रीका में सबसे अधिक वृद्धि देखी गई, जहाँ ताजे पानी की निकासी 16 प्रतिशत बढ़ी। वैश्विक स्तर पर कुल जल निकासी का लगभग 70 प्रतिशत सतही जल स्रोतों से हुआ जबकि 23 प्रतिशत भूजल से प्राप्त किया गया।
रिपोर्ट के अनुसार कृषि क्षेत्र अब भी पानी का सबसे बड़ा उपभोक्ता बना हुआ है और वैश्विक स्तर पर ताजे पानी की कुल निकासी का लगभग 72 प्रतिशत इसी क्षेत्र में जाता है। इसके बाद औद्योगिक और सेवा क्षेत्र क्रमशः 15 प्रतिशत और 13 प्रतिशत पर रहे।
एफएओ ने बताया कि 66 देशों में कुल ताजे पानी की निकासी का 75 प्रतिशत से अधिक हिस्सा कृषि के लिए इस्तेमाल किया गया। जबकि, अफ़ग़ानिस्तान, लाओ पीपुल्स डेमोक्रेटिक रिपब्लिक, माली, नेपाल, सोमालिया और सूडान में यह आंकड़ा 95 प्रतिशत रहा।
रिपोर्ट में विभिन्न क्षेत्रों में जल उपलब्धता और बदलती मांग का भी उल्लेख किया गया है। उत्तरी अफ्रीका में प्रति व्यक्ति ताजे पानी की उपलब्धता दुनिया में सबसे कम बनी हुई है, जबकि पिछले 10 वर्षों में जल निकासी 16 प्रतिशत बढ़ी है।पश्चिमी एशिया में तेज जनसंख्या वृद्धि और कृषि मांग सीमित जल आपूर्ति पर बढ़ते दबाव का कारण बन रही है। रिपोर्ट में सिंचाई में व्यापक असमानताओं को भी रेखांकित किया गया है।
एफएओ ने कहा, “लैटिन अमेरिका और एशिया के कुछ हिस्सों में सिंचाई फसल उत्पादन के बड़े हिस्से को सहारा देती है, जबकि उप-सहारा अफ्रीका में सिंचित कृषि भूमि कुल खेती योग्य भूमि का केवल एक छोटा हिस्सा है, जो जल अवसंरचना तक पहुँच में अंतराल को दर्शाता है।”
राष्ट्रीय स्तर पर बहरीन, मिस्र, सऊदी अरब, सूरीनाम और उज़्बेकिस्तान में सबसे अधिक सिंचाई कवरेज दर्ज की गयी। इन देशों में 90 प्रतिशत से अधिक खेती योग्य भूमि सिंचाई आधारभूत ढांचे युक्त है। इसके विपरीत लगभग 35 देशों , जिनमें अधिकांश उप-सहारा अफ्रीका के हैं वहां खेती योग्य भूमि का एक प्रतिशत से भी कम हिस्सा सिंचित है।
