ग्वालियर: तानसेन संगीत समारोह की पूर्वरंग सभाओं की श्रंखला में चतुर्थ सांयकालीन सभा तानसेन कला वीथिका में सजी।सभा की प्रथम प्रस्तुति सजग माथुर के एकल तबला वादन से आरंभ हुई। उन्होंने तीनताल में उठान, पेशकार सहित अजराड़ा, बनारस, दिल्ली, फर्रुखाबाद और पंजाब घरानों के चुनिंदा कायदे प्रस्तुत किए। रेला और चलन की प्रभावी पेशकश के साथ फर्रुखाबाद घराने की पारंपरिक रचनाएँ तथा चक्करदार फरमाइशी बंदिशों ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
इस प्रस्तुति में हामिद ख़ान ने सारंगी पर संगत दी। द्वितीय प्रस्तुति में शास्त्रीय गायक शरद बख्शी ने राग पुरिया धनाश्री में सुमधुर गायन प्रस्तुत किया। आपने सर्वप्रथम “बल बल जाऊं मितवा मोरे तोरे कारन लोगवा बुरे” विलम्बित ख्याल प्रस्तुत कर सभागार में शांति और माधुर्य का अद्भुत वातावरण निर्मित किया। तत्पश्चात् “पायलिया झनकार मोरी” छोटे ख्याल के साथ तराना प्रस्तुत किया और अंत में भजन गाकर अपनी प्रस्तुति का मोहक समापन किया। उनके साथ हारमोनियम पर विवेक जैन एवं तबले पर विकास विपट ने संगत दी।
माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन एवं माल्यार्पण के साथ हुए शुभारंभ में माधव संगीत महाविद्यालय की प्राचार्या सुश्री वीणा जोशी तथा वरिष्ठ कलाकारों की उपस्थिति रही। कार्यक्रम का संचालन अनिकेत तारलेकर ने किया।यह प्रतिष्ठित आयोजन मध्यप्रदेश शासन संस्कृति विभाग द्वारा नगर निगम ग्वालियर एवं मध्यप्रदेश पर्यटन के सहयोग से उस्ताद अलाउद्दीन ख़ाँ संगीत एवं कला अकादमी, मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद के तत्वावधान में आयोजित किया जा रहा है।
