
भोपाल: मध्यप्रदेश विधानसभा में मंगलवार को विपक्षी विधायकों ने सीहोर स्थित वीआईटी विश्वविद्यालय में हुई अनियमितताओं, मनमानी और हालिया घटनाक्रम को लेकर सरकार पर तीखा हमला बोला। उप नेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे, विधायक दिनेश जैन ‘बॉस’ और विधायक महेश परमार ने विश्वविद्यालय प्रशासन की कार्यप्रणाली को लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ बताया।
हेमंत कटारे ने सदन को बताया कि 25 नवंबर को विश्वविद्यालय में देश का पहला बड़ा जेन-ज़ी आंदोलन हुआ, लेकिन सरकार ने इस गंभीर मामले में कोई संवेदनशीलता नहीं दिखाई। उन्होंने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने सीएमएचओ को दो घंटे तक परिसर में प्रवेश नहीं करने दिया, जो प्रत्यक्ष रूप से शासकीय कार्य में बाधा है। कटारे ने इस पर तुरंत एफआईआर दर्ज करने की मांग की।
उन्होंने यह भी कहा कि परिसर में बिना अनुमति एक क्लिनिक संचालित किया जा रहा था, जो क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट का उल्लंघन है, फिर भी सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की। कटारे ने जनवरी 2025 में एनएसयूआई नेता रवि परमार की शिकायत पर यूजीसी द्वारा भेजे गए निर्देशों को सदन में नकारने को “भ्रामक जानकारी” बताया और 3,000 छात्रों पर दर्ज मामले वापस लेने की मांग की।
विधायक दिनेश जैन ‘बॉस’ ने घटनाओं को “गंभीर प्रशासनिक विफलता” बताया और मजिस्ट्रेट जांच की मांग की। उन्होंने कहा कि 4,000 छात्रों का सड़क पर उतरना विश्वविद्यालय प्रशासन और सरकारी नीतियों पर बड़ा प्रश्नचिह्न है।
विधायक महेश परमार ने हनुमान चालीसा पाठ पर छात्रों को दंडित करने जैसी घटनाओं को अत्यंत आपत्तिजनक बताया और विश्वविद्यालय में प्रशासक नियुक्त कर उच्च स्तरीय जांच की मांग की।
जवाब में उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने अनियमितताओं को स्वीकारते हुए कहा कि आवश्यक होने पर सरकार विश्वविद्यालय को अपने नियंत्रण में ले सकती है और सात दिनों के भीतर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
