
नई दिल्ली, 02 दिसंबर, 2025: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे से पहले, उनके आसपास रहने वाले चुनिंदा और करीबी लोगों की चर्चा हो रही है, जिन्हें रूस में ‘सिलोविकी’ कहा जाता है। ‘सिलोविकी’ शब्द उन अधिकारियों के लिए इस्तेमाल होता है, जो पहले केजीबी जैसी खुफिया एजेंसियों में काम कर चुके होते हैं और अब पुतिन के फैसलों में सुरक्षा, राजनीति और राष्ट्रीय हितों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों के प्रमुख शामिल
पुतिन के साथ उनकी विदेश यात्राओं में जाने वाले प्रमुख ‘सिलोविकी’ में एफएसबी (घरेलू खुफिया) के प्रमुख अलेक्जेंडर बोर्तनिकोव और एसवीआर (विदेशी खुफिया) के प्रमुख सर्गेई नारिश्किन शामिल हैं, जो दोनों पूर्व केजीबी अधिकारी हैं। इसके अलावा, रूस की सुरक्षा परिषद के प्रमुख निकोलाई पात्रुशेव और रक्षा मंत्री सर्गेई शोइग भी इस एलीट समूह में शामिल होते हैं।
रूस की नीतियों पर इनका भारी प्रभाव
‘सिलोविकी’ पुतिन के नज़दीकी होते हैं और रूस की नीतियों, विशेषकर सुरक्षा और विदेश नीति में उनका प्रभाव बहुत ज्यादा है। वालेरी गेरासिमोव (सेना के जनरल स्टाफ के प्रमुख) और यूरी कोवलचुक (पुतिन के निजी मित्र) जैसे लोग भी उनके करीब हैं। पुतिन के महत्वपूर्ण फैसले इन्हीं की सलाह से तय होते हैं।
