रायपुर में आयोजित पुलिस महानिदेशकों और पुलिस महानिरीक्षकों के 60 वें अखिल भारतीय सम्मेलन ने एक बार फिर साबित किया है कि भारत की आंतरिक सुरक्षा केवल आज की चुनौती नहीं, बल्कि 2047 तक के राष्ट्रीय भविष्य की नींव है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए संदेश इस बात को रेखांकित करते हैं कि सुरक्षा अब केवल वर्दीधारी बलों की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हर नागरिक का सामूहिक दायित्व है. विकसित भारत तभी संभव है जब उसका सुरक्षा ढांचा आधुनिक, समन्वित और आने वाली चुनौतियों के अनुरूप तैयार हो. सम्मेलन की थीम ‘विकसित भारत: सुरक्षा आयाम’ अपने आप में एक दूरदर्शी दृष्टिकोण को प्रस्तुत करती है. आज जब देश डिजिटल अर्थव्यवस्था, वैश्विक निवेश और तेज़ बुनियादी विकास के रास्ते पर आगे बढ़ रहा है, तब सुरक्षा तंत्र को भी उसी गति और तकनीकी दक्षता की आवश्यकता है. प्रधानमंत्री ने पुलिस बलों से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डेटा-ड्रिवन मॉडल, फोरेंसिक क्षमता और आधुनिक डिजिटल टूल्स अपनाने का आह्वान किया. यह एक स्पष्ट संकेत है कि आने वाले समय की पुलिसिंग तकनीक-संचालित होगी, और पारंपरिक ढांचे के साथ नई तैयारी को जोडऩा ही सुरक्षा तंत्र की सफलता का आधार बनेगा. दरअसल,भारत की आंतरिक सुरक्षा को सबसे गहरी चुनौती वामपंथी उग्रवाद और संगठित अपराध से है. सम्मेलन में छत्तीसगढ़ के डीजीपी द्वारा पेश की गई ‘बस्तर 2.0’ रणनीति, जिसमें 31 मार्च 2026 तक माओवाद के पूर्ण उन्मूलन का लक्ष्य तय किया गया है, आत्मविश्वास और दृढ़ संकल्प दोनों को दर्शाती है. वर्षों से देश की आंतरिक सुरक्षा नीति का सबसे कठिन क्षेत्र बस्तर ही रहा है. यदि वहां इस मिशन को सफलता मिलती है, तो यह देश की सुरक्षा व्यवस्था में एक ऐतिहासिक उपलब्धि होगी. सम्मेलन की एक और महत्वपूर्ण विशेषता राज्यों के बीच बेस्ट प्रैक्टिस साझा करने पर दिया गया जोर है. यह स्वीकार किया गया है कि अपराध और सुरक्षा चुनौतियाँ प्रदेशों की सीमाओं के भीतर सीमित नहीं रहतीं. साइबर अपराध, नशीली दवाओं के नेटवर्क, अवैध हथियारों और अंतरराज्यीय गैंगों के खिलाफ लड़ाई तभी प्रभावी होगी जब राज्यों के बीच एकीकृत रणनीति बने. प्रधानमंत्री का यह संदेश कि “राष्ट्रीय सुरक्षा एक साझा जिम्मेदारी है”, पुलिसिंग मॉडल को नए ढंग से परिभाषित करता है. महिला सुरक्षा, आपदा प्रबंधन और 2047 तक का आंतरिक सुरक्षा रोडमैप इस सम्मेलन की वे विशेष धुरी हैं, जिन पर भारत का भविष्य निर्मित होगा. महिला सुरक्षा पर बढ़ते जोर का अर्थ है कि पुलिसिंग का मानवीय और संवेदनशील चेहरा अब प्राथमिकता पर है. वहीं, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और फोरेंसिक विज्ञान का उपयोग न्याय प्रक्रिया को न केवल तेज़ करेगा, बल्कि उसे वैज्ञानिक और पारदर्शी भी बनाएगा.
प्रधानमंत्री द्वारा पुलिस बलों की सराहना और विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक प्रदान करना उन हजारों अधिकारियों और जवानों के मनोबल को नई ऊर्जा देता है, जो कठिन परिस्थितियों में देश को सुरक्षित रखने में जुटे रहते हैं. इस सम्मेलन से निकला मुख्य संदेश स्पष्ट है,सुरक्षित भारत ही विकसित भारत की पूर्वशर्त है. 2047 का भारत एक वैश्विक शक्ति बनने की ओर अग्रसर है, और इस यात्रा में आंतरिक सुरक्षा का नया, तकनीक-समर्थ, नागरिक-सहयोग आधारित मॉडल सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. रायपुर सम्मेलन इसी परिवर्तनशील भारत की सुरक्षा रूपरेखा का निर्णायक खाका प्रस्तुत करता है.
