
ग्वालियर। ए.एम.आई शिशु मंदिर में कार्यरत रहीं लाइब्रेरियन संजुला खंडेलवाल द्वारा दायर याचिका, जिसमें उन्होंने सभी भत्तों के साथ दोबारा नौकरी पर बहाल करने की मांग की थी, उसे उच्च न्यायालय की एकलपीठ ने खारिज कर दिया है। संजुला ने एएमआई शिशु मंदिर स्कूल प्रबंधन के खिलाफ याचिका दायर करते हुए दावा किया था कि उन्हें पुन: सेवा में लिया जाए।
एएमआई शिशु मंदिर स्कूल प्रबंधन की ओर से हाई कोर्ट में पक्ष रखते हुए एडवोकेट डॉ. अनुराधा सिंह ने बताया कि संजुला खंडेलवाल ने स्वयं स्वेच्छा से इस्तीफा दिया था, इसलिए अब पुनर्बहाली का कोई आधार नहीं बनता। साथ ही उन्होंने न्यायालय को अवगत कराया कि संजुला ने स्कूल के नियमों का उल्लंघन किया था और उनके अनुबंध में स्पष्ट लिखा है कि यदि कोई कर्मचारी तीन या उससे अधिक अनधिकृत छुट्टियां लेता है एवं बिना पूर्व सूचना के अनुपस्थित रहता है तो उसकी सेवा समाप्त की जा सकती है। इसलिए उनकी बहाली की मांग नियम और कॉन्ट्रैक्ट अनुबंध दोनों के विरुद्ध है।
ए.एम.आई शिशु मंदिर की एडवोकेट डॉ. अनुराधा सिंह ने यह भी तर्क दिया कि यह याचिका कानूनी रूप से विचारणीय नहीं है, क्योंकि ए.एमआई शिशु मंदिर एक निजी संस्थान है और इसकी प्रबंधन समिति राज्य की श्रेणी में नहीं आती। ऐसे मामलों में रिट याचिका दायर करना संभव नहीं है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने एडवोकेट डॉ. अनुराधा सिंह के तर्को से सहमत हुए माना कि संजुला खण्डेलवाल द्वारा दायर याचिका विधिक रूप से मेंटेंनबल योग्य नहीं है, इसी आधार पर हाई कोर्ट ने यह याचिका खारिज कर दी।
