तीर्थनगरी ओंकारेश्वर में बंद के दौरान देश भर से आए तीर्थयात्री परेशान हुए

खंडवा/ओंकारेश्वर। तीर्थनगरी ओंकारेश्वर में भगवान शंकर का ‘तीसरा-नेत्र’ खुलने जैसे हालात बन गए हैं। यहां के रहवासियों ने भी आंखें खोल ली हैं। राज्य सरकार के ममलेश्वर लोक निर्माण में लोगों के घर और दुकान हटाने को लेकर बड़ा आक्रोश दिखा। पूरा क्षेत्र बंद रहा। श्रद्धालु पहुंचे, लेकिन उन्हें चाय-पानी से लेकर होटल और गेस्ट-हाउस तक बंद मिले! ऐसे हालात ओंकारेश्वर में कभी नहीं दिखे।

प्रशासन भी अंदरूनी तौर पर परेशान नजर आया। वोट मांगने वाले जनप्रतिनिधि बगलें झांकते हुए दिखे। इन्हें आने वाले चुनाव में भी वोट चाहिए, इसलिए वे ढुलमुल बातें कर रहे हैं। जबकि सरकार के इशारे पर प्रशासन अंदरुनी काम कर रहा है। मसला लगभग दो से ढाई हजार करोड रुपए के बजट में ममलेश्वर लोक निर्माण का है। सरकार चाहती है कि जल्द से जल्द इसका काम शुरू हो जाए। सिंहस्थ के पहले तक ओंकारेश्वर को श्रद्धालुओं के सामने प्रस्तुत किया जाए। हालत तो यह हैं कि ओंकारेश्वर संवेदनशीलता का सूचकांक है। यहां हर क्षेत्र से लोग पहुंचते हैं। उन्हें जब यहां के हालात दिखे, तो देशभर में इसकी चर्चा बदनामी के तौर पर फैल गई।

 

रॉबर्ट वाड्रा भी पहुंचे ओंकारेश्वर

सोमवार को ही सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा भी ओंकारेश्वर पहुंचे। उन्होंने ओंकारेश्वर के दर्शन किए। नर्मदाजी की आराधना की। उन्हें कांग्रेसियों ने सहूलियतें मुहैया करा दीं, लेकिन वे भी ऐसे हालात देखकर सत्तारूढ़ पार्टी को निशाना बनाने लगे। बिहार में कांग्रेस की हार पर राबर्ट वाड्रा ने कहा कि लोकतंत्र के लिए जिस तरह से सट्टा वालों ने चुनाव लड़ा, ठीक नहीं है।खुलेआम 10-10 हजार खातों में चुनाव के समय देकर वोट खरीदने से लोकतंत्र कहां बचेगा? इस देश में लोकतंत्र बनाने के लिए पुराने नेताओं ने कितने बलिदान दिए और पापड़ बेले हैं, इसे याद करना होगा।

 

सांसद, अब उधर नहीं जा रहे!

बात करें, ममलेश्वर लोक की, तो सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल अब उधर जाने के मूड में ही नहीं हैं। उन्होंने लोगों के पक्ष में वहां जाकर कहा, तो वह भी सरकार विरोधी हो गया था। ऐसे में सांसद की रणनीति सही भी है कि चुप रहा जाए, तो ही अच्छा है।

 

विधायक पटेल ने साधी चुप्पी

विधायक नारायण पटेल भी इस मसले पर कम ही बोल रहे हैं, लेकिन उनका साफ कहना है कि रहवासियों के साथ अन्याय नहीं होने दिया जाएगा। कुछ समाधान हम निकाल लेंगे। असल में देखा जाए तो प्रशासन की कार्रवाई कम ही नहीं रही है। मतलब इन जनप्रतिनिधियों से भी ऊपर सरकार का दबाव बढ़ गया है।

 

कांग्रेसी बोले, हम पीड़ितों के साथ

ऐसे हालत में कांग्रेस के जिलाध्यक्ष और मांधाता से चुनाव लड़ने वाले उत्तमपाल सिंह पुरानी धरने पर बैठे लोगों के बीच पहुंचे। उन्होंने कहा कि प्रशासन बड़े दबाव में है। राज्य सरकार की मंशा पर काम कर रहा है। जनप्रतिनिधि जिन्हें चुना गया है, वे भी इधर-उधर देख रहे हैं। आपने भले ही उन्हें चुनकर लोकसभा और विधानसभा में भेजा है, लेकिन कांग्रेस और हम आपके साथ हैं। हम जिम्मेदारी से मुंह नहीं मोड़ेंगे। किसी भी परिस्थिति में पीड़ितों के साथ हैं। जिन्हें बेवजह बेदखल किया जा रहा है। इस मसले पर एक-दो दिन में ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राजनारायण सिंह एवं अन्य लोग मिलकर बड़ा आंदोलन पीड़ितों के साथ मिलकर करेंगे। इसकी तैयारी भी पूरी हो चुकी है।

निर्णय से सब परेशान

मतलब साफ है कि ओंकारेश्वर के हालात ठीक नहीं है। यहां राज्य सरकार, प्रशासन, चुने हुए जनप्रतिनिधि, विपक्ष और यहां के रहवासी जिन्हें बेदखल किया जा रहा है, सभी परेशान हैं। इसलिए बड़ी समस्या का हल निकालना जरूरी है।

धरने पर बैठीं महिलाएं

स्थानीय लोगों ने पूरा नगर बंद कर दिया है और आंदोलन पर बैठ गए हैं। आंदोलन कर रही महिलाओं ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते हुए कहा कि हम मर जाएंगे पर अपना घर नहीं छोड़ेंगे।

ऐसे पहचानें ओंकारेश्वर के हालात

सोमवार से ओंकारेश्वर में ऑटो, नर्मदा नदी में नाव का संचालन, होटल-गेस्ट हाउस, धर्मशाला, भोजनालय सहित सभी प्रकार की सुविधाएं स्थानीय लोगों ने बंद कर दी है। इससे ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

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