ब्यावरा:स्वास्थ्य जैसी सुविधा का लाभ आमजन को सुगमता से और घर के समीप ही मिल सके इस उद्देश्य को देखते हुए शासन द्वारा स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाते हुए नगर, मोहल्ले में ही संजीवनी क्लीनिक स्थापित किए गये है किंतु शासन का लाखों रुपये लगने के बावजूद नवनिर्मित भवन धूल खा रहे है, नये भवन खण्डहर में बदलने लगे है.
ब्यावरा में जूना ब्यावरा स्थित एसडीएम निवास के समीप शासकीय क्वाटर के निकट लगभग 25 लाख रुपये की लागत से नगर पालिका परिषद द्वारा करीब दो साल पूर्व बिल्डिंग बनाकर तैयार की जा चुकी है किंतु स्वास्थ्य विभाग द्वारा इसे अपने अधीन नहीं लिया गया है. इससे वीरान पड़ा यह लाखों का भवन टूटफूट होकर धूल खा रहा है.
कार्य पूर्ण पर हेंडओवर नहीं
लगभग दो साल पूर्व यह बिल्डिंग बनकर तैयार हो गई. स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा बिल्डिंग का निरीक्षण कर इसमें कुछ एल्युमिनियम सेक्शन का कार्य करने को कहा गया था जिसे भी पूर्ण करना बताया जा रहा है. अब भवन में मात्र पंखे लगना है. हालांकि अभी स्वास्थ्य विभाग द्वारा भवन को अपने अधीन नहीं लिया गया है.
धूल, कचरे से पटा नया भवन
संजीवनी क्लीनिक की नवीन बिल्डिंग में 4 कमरे नीचे तथा 1 कमरा ऊपरी तल पर है. भवन में सभी निर्माण कार्य हो चुका है. परन्तु शुरु नहीं होने से यह धूल, कचरा से पट गई है. इसकी टाईल्स सहित अन्य निर्माण में आये दिन टूटफूट हो रही है. भारी मात्रा में धूल, जाले लगे हुए देखे जा सकते है. इसी तरह सुठालिया रोड पर गुलाबशाहजी की बावड़ी क्षेत्र में भी संजीवनी क्लीनिक हेतु इतनी ही लागत से भवन बनकर तैयार हो चुका है.
बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उलब्ध कराना उद्देश्य
जानकारी के अनुसार 50 से 60 हजार आबादी वाले स्थानों पर आमजन को सुगमता से स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध हो सके इसके लिए संजीवनी क्लीनिक खोले जा रहे है. ब्यावरा,राजगढ़, नरसिंहगढ़,सारंगपुर, पचोर, खिलचीपुर, जीरापुर सहित जिले के 9 स्थानों पर क्लीनिक खुलना है. अभी राजगढ़ में ही क्लीनिक का संचालन शुरु हुआ है लेकिन यहां भी स्टॉफ का अभाव होने से इसका लाभ आमजन को नहीं मिल पा रहा है. क्लीनिक में एक चिकित्सक सहित पैरामेडिकल स्टॉफ होगा. लैब की सुविधा भी रहेगी.
पर्याप्त स्टॉफ का होना जरुरी
स्वास्थ्य विभाग द्वारा भवन को हेंडओवर करने के बाद भी संजीवनी क्लीनिक का आमजन को लाभ तभी मिल सकेगा जब यहां पर समुचित स्टॉफ तैनात होगा. प्राय: देखा गया है कि शासकीय अस्पतालों में चिकित्सक सहित अन्य स्टॉफ की भारी कमी के चलते मरीजों को स्वास्थ्य सुविधा का बेहतर एवं सुविधाजनक लाभ नहीं मिल पाता है. शासन द्वारा संजीवनी क्लीनिक की सार्थकता भी तभी सिद्ध होगी जब यहां पर्याप्त स्टॉफ की सुविधा होगी.
विभाग ने कहा अभी हेंडओवर नहीं हुआ भवन
संजीवनी क्लीनिक के नवनिर्मित भवन फिलहाल स्वास्थ्य विभाग के हेंडओवर नहीं हुए है. भवन निर्माण हुए इतना समय बीतने के बाद भी अभी तक इनको शुरु नहीं किए जाने से यह नवीन भवन बदहाल होकर इनमें टूटफूट हो रही है. ऐसे में शासन द्वारा लाखों रुपये लगाकर जिस उद्देश्य से इन भवन को बनाया गया है उसका लाभ आमजन को नहीं मिल पा रहा है
