मवई में स्वास्थ्य सेवाएं बेहाल, महिला डॉक्टर भी नहीं, पोस्टमार्टम के लिए खुले में रखना पड़ रहा शव  

मवई. जिले के मवई विकासखंड का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र आज भी बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं से कोसों दूर है। यह स्थिति तब है जब सरकार हर गांव तक स्वास्थ्य सेवा पहुँचाने का दावा करती है। अस्पताल में वर्षों से महिला डॉक्टर का पद खाली है, शव रखने के लिए फ्रीजर नहीं है, और पोस्टमार्टम के लिए भी स्थायी कर्मी नहीं है, जिसके कारण आम नागरिक गंभीर मानसिक और शारीरिक कष्ट झेलने को मजबूर हैं।

जानकारी अनुसार मवई स्वास्थ्य केंद्र में महिला डॉक्टर का पद कई सालों से खाली पड़ा है। इस लापरवाही का खामियाजा क्षेत्र की महिलाओं को भुगतना पड़ रहा है। छोटी-छोटी तकलीफों के लिए भी महिलाओं को 100 किलोमीटर दूर मंडला की यात्रा करनी पड़ती है। आर्थिक रूप से कमजोर कई महिलाएं मजबूरी में घरेलू उपायों पर निर्भर हैं। जिसके कारण स्थिति और भी गंभीर हो जाती है। बताया गया कि मवई की स्वास्थ्य सेवाओं का सबसे दुखद पहलू यह है कि किसी आकस्मिक मौत की स्थिति में पोस्टमार्टम के लिए बिछिया से सफाई कर्मी को बुलाना पड़ता है, जो 50-60 किलोमीटर दूर है। अगर वह उपलब्ध नहीं होता है, तो परिजन को मृत शरीर के साथ 1 से 2 दिन तक इंतजार करना पड़ता है। सबसे बड़ी विडंबना यह है कि अस्पताल में शव रखने के लिए फ्रीजर तक नहीं है, जिससे गर्मी के मौसम में शव जल्दी खराब होने का खतरा बना रहता है।

संदिग्ध मौत, इलाज पर उठे गंभीर सवाल :

हाल ही में रमतीला निवासी श्याम बाई पट्टा की बीपी बढऩे से संदिग्ध परिस्थितियों में मृत्यु हो गई थी। उन्हें स्थानीय स्तर पर प्राथमिक इलाज देने की बजाय सीधे मंडला रेफर कर दिया गया। यह सवाल उठाता है कि क्या स्थानीय स्तर पर कोई जीवन रक्षक सुविधा उपलब्ध नहीं थी, रेफर क्यों किया गया? और सबसे गंभीर बात यह है कि इस मौत का पोस्टमार्टम तक नहीं हुआ। बताया गया कि श्याम बाई आदिवासी थीं और उनके छोटे-छोटे बच्चे अब बेसहारा हो गए हैं। यह घटना मवई की बेहाल स्वास्थ्य व्यवस्था पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न खड़ा कर रही है।

क्षेत्रवासियों की मुख्य मांगे :

स्थानीय नागरिकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने प्रशासन से तत्काल मांगों को पूरा करने की अपील की है। मांगों में मवई में महिला डॉक्टर की तत्काल पदस्थापना की जाए, पोस्टमार्टम के लिए स्थायी स्वीपर की व्यवस्था हो, शव रखने के लिए फ्रीजर लगाया जाए। सरकारी एंबुलेंस सेवा 24 घंटे उपलब्ध कराने की मांग की है।

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