
खंडवा। भ्रष्ट्र आचरण के मामले में जिले की पहली महिला पटवारी कंचन तिवारी को 3 साल की सजा हो गई है। कंचन तिवारी हरसूद क्षेत्र के निशानिया में पटवारी थीं। तब एक किसान से नामांतरण के मामले में पैसे मांगे। नहीं देने पर, नामांतरण में कई अड़ंगे डाले। किसान चकरघिन्नी हो गया। रिश्वत लेने के साढे 5 साल लोकायुक्त पुलिस ने जांच की।
उसने लोकायुक्त में शिकायत कर दी थी। लोकायुक्त टीम ने सारी कानूनी प्रक्रिया और सबूतों का जाल बिछाकर रिश्वतखोर महिला पटवारी कंचन तिवारी को रंगे हाथों पकड़ लिया था। विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) खण्डवा अरविन्द सिंह टेकाम ने यह फैसला सुनाया ।
आइकन बन गई थीं कंचन तिवारी
कंचन तिवारी जिले में पहली महिला पटवारी होने के कारण महिलाओं के लिए आइकन बन गई थीं। फील्ड में काम करने वाले पटवारी के पद पर रहते हुए उन्होंने सुर्खियां भी बटोरीं। इसके बावजूद एक घटनाक्रम ऐसा हुआ, कि कंचन तिवारी को 3 साल सलाखों के पीछे रखने की सजा दी गई।
ऑनलाइन नामांतरण में भी रिश्वतखोरी
अभियोजन मीडिया सेल प्रभारी हरिप्रसाद बांके, एडीपीओ ने बताया कि, ग्राम निशानिया, तहसील हरसूद जिला खण्डवा निवासी राहुल बांके ने 17. जनवरी 2020 को उसके गांव में पदस्थ महिला पटवारी कंचन तिवारी की लोकायुक्त कार्यालय इंदौर में शिकायत की थी। महिला पटवारी उसके पिता से उसे प्राप्त कृषि भूमि का ऑनलाईन नामांतरण की इंट्री करने के एवज में 2500 रू रिश्वत की मांग कर रही है।
रुपए पर्स में रखते ही पकड़ाईं
फरियादी की शिकायत पर पुलिस अधीक्षक लोकायुक्त इंदौर ने निरीक्षक राहुल गजभिये के नेतृत्व में टीम गठित कर महिला पटवारी के तहसील हरसूद स्थित कार्यालय पर फरियादी के साथ भेजा। फरियादी से जैसे ही महिला पटवारी कंचन तिवारी ने फरियादी राहुल से रिश्वत राशि रूपए दो हजार अपने हाथों में लेकर अपने बेग में रखे। वैसे ही लोकायुक्त टीम ने कंचन तिवारी को रंगेहाथों पकड लिया।
विशेष न्यायालय ने 2 साल में दिया फैसला
10 हजार रुपए अर्थदंड भी लगाया।
घटना की विवेचना पूरी होने के बाद लोकायुक्त पुलिस ने 30 जून 2023 को अभियोग पत्र विशेष न्यायालय लोकायुक्त खण्डवा में पेश किया। विचारण के बाद विशेष न्यायाधीश अरविंद सिंह टेकाम मैं इसे गंभीरता से लिया और यह फैसला दिया।
