
जबलपुर। मप्र हाईकोर्ट को 4 लाख 82 हजार 627 कुल लंबित मुकदमों के बोझ से निजात दिलाने युद्ध स्तर पर प्रयास जारी हैं। इस अभियान के अंतर्गत निरंतर दूसरे शनिवार को 10 विशेष पीठों ने 337 प्रकरणों का निराकरण किया। इनमें से आठ विशेष पीठों ने जमानत अर्जियों में सुनवाई की, जबकि शेष दो पीठों के समक्ष सर्विस व अवमानना के प्रकरण सुने गए।
दरअसल, हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा के निर्देश पर इन विशेष पीठों का गठन किया गया है। शनिवार को आठ विशेष पीठों ने कुल 866 जमानत के मामलों पर सुनवाई की। इनमें से से 296 मामले निराकृत कर दिए गए। वहीं, सेवा संबंधी मामलों की सुनवाई कर रही दोनों बेचों ने कुल 41 मामलों का निराकरण किया। इस तरह एक दिन में ही 337 लंबित मामलों का पटाक्षेप कर दिया गया। जबकि पहले शनिवार को आठ विशेष बेंच में कुल 864 मामले सुनवाई के लिए रखे गए थे, जिनमें से 350 प्रकरणों का निराकरण किया गया था। हाईकोर्ट बार एसोसिएशन जबलपुर के अध्यक्ष धन्य कुमार जैन व सचिव परितोष त्रिवेदी के अनुसार उन्होंने मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा को बताया था कि मुख्यपीठ में इस वर्ष दायर की गई व लंबित जमानत अर्जियों का आंकड़ा तीन हजार के पास पहुंच गया है। सर्विस मैटर्स का आंकड़ा भी तेजी से बढ़ रहा है। इसको लेकर वकीलों में पिछले कुछ समय से असंतोष व्याप्त है। इस संबंध में ठोस कदम उठाने का आग्रह किया था। इसके बाद मुख्य न्यायाधीश सचदेवा ने तेजी से बढ़ रहे लंबित मामलों को गंभीरता से लेते हुए नवीन व्यवस्था दी। विगत 20 सितम्बर शनिवार को जमानत के मामलों के लिए आठ विशेष बेंच गठित की थीं। इस बार दो बेंच सर्विस मैटर्स के लिए भी बैठी। श्री जैन ने कहा कि हाईकोर्ट की यह पहल सराहनीय है। इससे बड़ी संख्या में पक्षकारों को राहत मिली। सामान्य कार्य दिवसों की तरह इनमें पक्षकार, वकील, कर्मचारी व अधिकारी शामिल रहे।
