भोपाल: संस्कृति विभाग द्वारा भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद्, नई दिल्ली के सहयोग से रविन्द्र भवन मुक्ताकाश मंच पर आयोजित सात दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय श्रीरामलीला उत्सव के तीसरे दिन वियतनाम के कलाकारों ने ‘रीम केर’ नृत्य-नाट्य प्रस्तुत कर रामकथा को जीवंत किया। इसमें हनुमान और पक्षी स्दादुस का संवाद तथा राक्षस क्रोंग रीप (रावण) से युद्ध का दृश्य दर्शकों को रोमांचित कर गया। रीम केर, वियतनाम के खमेर समुदाय की पारंपरिक ‘रोबाम’ नाट्यशैली है, जिसे अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर माना जाता है।
इसके पश्चात चित्रकूट के श्रीलीला गुरुकुल संस्थान के कलाकारों ने राम वनगमन, केवट संवाद, दशरथ देवलोक गमन और भरत कैकेयी संवाद जैसे प्रसंगों का भावपूर्ण मंचन किया। भरत का संवाद यह राज्य केवल श्रीराम का है ने दर्शकों को गहराई से प्रभावित किया।उत्सव में रामनगर (वाराणसी) की 200 वर्ष पुरानी विश्वविख्यात रामलीला की झलक भी प्रदर्शनी के माध्यम से दिखाई जा रही है। यूनेस्को द्वारा अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर घोषित इस रामलीला की वेशभूषा, मुकुट और आभूषण भी आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं।
