उज्जैन: सिंहस्थ 2028 की तैयारियों को देखते हुए मध्यप्रदेश सरकार अब सिंहस्थ मेला एक्ट 1955 में व्यापक बदलाव करने जा रही है. यह एक्ट मध्यभारत काल में बना था और तब से अब तक सिंहस्थ जैसे विशाल आयोजन की बदलती परिस्थितियों के अनुरूप इसमें कोई बड़ा संशोधन नहीं किया गया.मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की पहल पर सरकार ने शीतकालीन सत्र में नया विधेयक पेश करने का निर्णय लिया है, जिसके तहत नया कानून बनेगा और मेला बोर्ड का गठन होगा.
कलेक्टर की ताकत बढ़ेगी
नए एक्ट के तहत जिले के कलेक्टर को व्यापक अधिकार दिए जाएंगे. आयोजन की सभी व्यवस्थाओं पर कलेक्टर का सीधा नियंत्रण होगा।विभागीय तालमेल बैठाने में उन्हें अंतिम निर्णय का अधिकार रहेगा. किसी भी अधिकारी या कर्मचारी की लापरवाही पर वे तत्काल कार्रवाई कर सकेंगे.
बनेगा सिंहस्थ मेला बोर्ड
नया कानून बनने के बाद सिंहस्थ मेला बोर्ड का गठन किया जाएगा. इसमें प्रशासन, नगर निगम, पुलिस, स्वास्थ्य, जल संसाधन, बिजली, परिवहन समेत तमाम विभागों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे.
मुख्यमंत्री की निगरानी में रहेगा बोर्ड
बोर्ड की बैठकें नियमित होंगी. योजनाओं की मॉनिटरिंग सीधे मुख्यमंत्री की देखरेख में होगी।महाकाल मंदिर प्रबंधन समिति,श्रद्धालुओं व साधु-संतों का भी परामर्श लिया जाएगा।
पुलिस को मिलेगी बड़ी जिम्मेदारी
मेला बोर्ड में पुलिस को भी शामिल किया जाएगा।आईजी,एसपी स्तर के अधिकारी सिंहस्थ क्षेत्र की सुरक्षा देखेंगे. खास तौर पर क्राउड मैनेजमेंट और सुरक्षा योजनाओं पर पुलिस को अतिरिक्त अधिकार मिलेंगे।ड्रोन, सीसीटीवी और आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर सिंहस्थ क्षेत्र की चौकसी की जाएगी.
गड़बड़ी करने वालों पर सख्त कार्रवाई
मुख्यमंत्री हर स्तर पर तैयारियों का जायजा लेंगे. योजनाओं और बजट पर अंतिम फैसला सीएम की देखरेख में होगा. नए एक्ट में यह प्रावधान किया जाएगा कि कोई भी व्यक्ति सिंहस्थ क्षेत्र में अनुशासनहीनता करेगा, गड़बड़ी फैलाएगा या व्यवस्थाओं में बाधा बनेगा तो उसे सीधे जेल भेजा जाएगा. आपराधिक गतिविधियों पर शून्य सहनशीलता की नीति अपनाई जाएगी, श्रद्धालुओं की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता रहेगी.
क्यों ज़रूरी है नया एक्ट?
सिंहस्थ 2028 में करोड़ों श्रद्धालुओं के आने की संभावना है।पुराना एक्ट 70 साल पुराना है, उसमें वर्तमान समय की चुनौतियों के लिए स्पष्ट प्रावधान नहीं हैं.
डिजिटल तकनीक, यातायात प्रबंधन, सुरक्षा, स्वच्छता और आपदा प्रबंधन जैसे नए पहलुओं को शामिल करने के लिए कानून को अपडेट करना ज़रूरी है.
तैयारियों को मिलेगी रफ्तार
इस नए कानून के बाद सिंहस्थ 2028 की तैयारियों में तेज़ी आएगी. अधोसंरचना विकास के कामों को कानूनी मजबूती मिलेगी।प्रशासनिक अड़चनें खत्म होंगी।साधु-संतों और श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी.
