
जबलपुर। ऊंचों सो पुरपाटन गांव जहां के राजा मंगल सेन, अमयंती दमयंती दो रानी, हमसे कहतीं तुमसे सुनती 16 बोल की एक कहानी..रविवार को महालक्ष्मी व्रत पर ये स्वर महालक्ष्मी की पूजा में घर- घर सुनाई दिए। माता महालक्ष्मी की पूजन-अर्चन का यह पर्व उन्हीं के नाम से विख्यात है। महालक्ष्मी व्रत पर महिलाओं ने पुरे दिन व्रत रखा और पूजा की तैयारी की, जिसके बाद शाम को सभी के घरों में हाथी पर सवार होकर आई मां लक्ष्मी का विधि – विधान से पूजन अर्चन किया गया।
खुरमा बतियां, गुझिया का लगाया महालक्ष्मी को भोग
महालक्ष्मी व्रत पर हाथी पर सवार माता लक्ष्मी का पूजन अर्चन किया गया। महिलाओं ने सुबह से ही पूजा की तैयारी शुरु कर दी थी। जिसमें प्रत्येक घरों पर खुरमा बतियां, गुझिया-मुटका सहित कई पकवान बनाए गए और माता महालक्ष्मी को भोग लगाया गया।
महालक्ष्मी व्रत में विधि विधान से घरों में मां लक्ष्मी की पूजन के साथ पंडित जी ने उनकी कथा कही। उन्होंने बताया कि कौरवों के यहां पर बहुत ही धूमधाम से महालक्ष्मी व्रत को संपन्न कराया जा रहा था,वही पांडव की मां कुंती बहुत ही उदास बैठी हुई थी जब पांचो भाई वापस आए और अपनी मां को उदास देखा तब उन्होंने कहा पूरे शहर में ढिंढोरा पिटवा दो कि आज हमारे यहां आकाश मार्ग से ऐरावत हाथी आएगा और वह सबके मनोकामनाएं पूर्ण करेगा। तब अर्जुन ने अपनी धनु विद्या से आकाश मार्ग से ऐरावत हाथी को धरती पर ले और सभी ने धूमधाम से उनकी पूजन कर अपनी- अपनी मनोकामनाएं पूर्ण की, तभी से इस व्रत को करने का विधान इस धरती पर चला आ रहा है जो लोग भी सच्ची श्रद्धा निष्ठा से इस व्रत को करते हैं उनकी निश्चित रूप से मनोकामनाएं मां लक्ष्मी पूर्ण करती हैं उन्हें धन-धान से भर देती हैं।
