
जबलपुर। मप्र हाईकोर्ट ने अनुसूचित जाति वर्ग के लिये अध्यक्ष का पद दाई दशक से आरक्षित होने को चुनौती देने वाले मामले को गंभीरता से लिया। दायर मामले में कहा गया है कि मुरैना के बानमोर नगर परिषद में अध्यक्ष का पद लंबे समय से अजा को आरक्षित है, जो कि अवैधानिक है। चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा व जस्टिस विनय सराफ की युगलपीठ ने मामले में राज्य सरकार, चुनाव आयोग व अन्य को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब पेश करने के निर्देश दिये है।
यह जनहित याचिका मुरैना जिले की बानमोर निवासी महावीर जैन की ओर से दायर की गई है। जिसमें कहा गया है कि वर्ष 1999 से नगर परिषद अध्यक्ष पद अनुसूचित जाति के लिए लगातार आरक्षित किया जा रहा है, जबकि कानून और संविधान के तहत आरक्षण की प्रक्रिया रोटेशन पद्धति से लागू की जानी चाहिए। नियमानुसार किसी सीट को लगातार एक ही वर्ग के लिए आरक्षित नहीं किया जा सकता। इसके बाद भी बानमोर नगर परिषद में लगातार अनुसूचित जाति वर्ग के लिए ही अध्यक्ष पद आरक्षित किया जा रहा है। यह प्रक्रिया न केवल गैर-आरक्षित वर्ग को उनके अधिकार से वंचित कर रही है, बल्कि आरक्षण का लाभ भी सीमित कर रही, जो अवैधानिक है। याचिका में राहत चाही गई है कि अध्यक्ष पद पर आरक्षण रोटेशन पद्धति से लागू किया जाए। मामले की प्रारंभिक सुनवाई पश्चात् न्यायालय ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब पेश करने के निर्देश दिये है।
