भोपाल: मध्यप्रदेश में सरकारें बदलती रहीं, लेकिन ठेका कर्मचारियों की समस्याओं पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। यह आरोप सचिवालय सेवा अधिकारी कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सुधीर नायक ने इस संवाददाता से बातचीत में लगाया।नायक ने बताया कि प्रदेश में इस समय ढाई लाख से अधिक ठेका कर्मचारी काम कर रहे हैं, जिनमें से एक लाख से ज्यादा अकेले मध्यप्रदेश विद्युत मंडल (एमपीईबी) में तैनात हैं। उन्होंने कहा कि अधिकांश कर्मचारी उच्च शिक्षित हैं और कई इंजीनियरिंग डिग्रीधारी हैं, लेकिन फिर भी उन्हें स्थायी कर्मचारियों के बराबर अधिकार और सुविधाएं नहीं मिलतीं।
उन्होंने कहा कि कोरोना काल इसका बड़ा उदाहरण है जब स्थायी कर्मचारियों को मेडिकल और क्वारंटीन अवकाश मिला, लेकिन ठेका कर्मचारियों को इससे वंचित रखा गया। महिला ठेका कर्मचारियों को मातृत्व अवकाश का अधिकार तक नहीं है। वेतन में भी भारी असमानता है। स्थायी कर्मचारी जहां 30,000 रुपये मूल वेतन के साथ अन्य भत्ते पाते हैं, वहीं ठेका कर्मचारी को मात्र 12,000 रुपये मासिक मिलते हैं।
नायक ने बताया कि ठेका कर्मचारियों की नौकरी बिल्कुल असुरक्षित है। उन्हें कभी भी बिना नोटिस हटाया जा सकता है। हाल ही में टेली मेडिकल योजना में काम करने वाले 400 कर्मचारियों को अचानक हटा दिया गया, बिना किसी पूर्व सूचना के।उन्होंने कहा कि प्रदेशभर में विभिन्न विभागों में दस साल से अधिक समय से काम कर रहे ये कर्मचारी अब भी असुरक्षा और उपेक्षा का सामना कर रहे हैं। सरकार को चाहिए कि उनकी सेवाओं का नियमितीकरण कर समान वेतन और सुविधाएं उपलब्ध कराए।
“यह विशाल कार्यबल सरकारी तंत्र को सुचारू रूप से चला रहा है, इसे अनदेखा करना अन्याय है,” नायक ने कहा।
