वाराणसी, 12 अगस्त (वार्ता) वाराणसी में गंगा और वरुणा नदी का जलस्तर कम होने के बाद जिला प्रशासन और नगर निगम के सामने घाटों पर जमा मिट्टी, मोहल्लों में फैली कीचड़ और दुर्गंध सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभरी है। बाढ़ग्रस्त इलाकों में पानी उतरने के साथ ही लोगों की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। संक्रामक बीमारियों का खतरा भी तेजी से बढ़ रहा है।
जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार ने बताया कि नगर निगम द्वारा युद्धस्तर पर सफाई अभियान चलाया जा रहा है। घाटों पर पंप लगाकर जमा मिट्टी को हटाया जा रहा है। मणिकर्णिका घाट की गली में जमा मिट्टी को साफ करवाया गया है। नगर निगम द्वारा इन क्षेत्रों में सोडियम हाइपोक्लोराइट, एंटी-लार्वा और चूने का छिड़काव किया जा रहा है। मच्छरों के प्रकोप से बचाव के लिए एंटी-लार्वा कीटनाशक का भी छिड़काव हो रहा है, ताकि संक्रामक रोगों के फैलने की आशंका को रोका जा सके।
अपर नगर आयुक्त सविता यादव ने बताया कि बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों जैसे कोनिया, नगवा, ढेलवरिया, शीतला घाट समेत कई इलाकों में जमा सिल्ट को नगर निगम की टीम ने साफ करवाया है। नगर आयुक्त अक्षत वर्मा स्वयं सफाई अभियान पर नजर रखे हुए हैं।
नगवा निवासी अजय यादव ने बताया कि पानी कम होने के बाद दुर्गंध और मच्छरों से लोग परेशान हैं। नगर निगम की टीम द्वारा एंटी-लार्वा कीटनाशक के छिड़काव से कुछ राहत मिली है।
