गरीबी और कुपोषण का दंश झेल रहा है आदिवासी समाज

सीहोर। विश्व आदिवासी दिवस पर बाल विहार मैदान में भव्य आमसभा व सांस्कृतिक महारैली का आयोजन हुआ, जिसमें हजारों की संख्या में आदिवासी समाज के लोग पारंपरिक वेशभूषा और तीर-कमान के साथ शामिल हुए. रैली बाल विहार से मुख्य मार्गों होते हुए भोपाल नाका पर समाप्त हुई. कार्यक्रम का शुभारंभ डॉ. भीमराव अंबेडकर, टंट्या मामा, रानी दुर्गावती और बिरसा मुंडा के चित्र पर माल्यार्पण से हुआ.

मुख्य अतिथि उपसंचालक कृषि प्रहलाद सिंह बारेला ने बताया कि 1994 में संयुक्त राष्ट्र ने 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस घोषित किया, जिसका उद्देश्य आदिवासी संस्कृति व अधिकारों को प्रोत्साहन देना है. मप्र आदिवासी वित्त विकास निगम अध्यक्ष निर्मला सुनील बारेला ने कहा कि आदिवासी समाज अब भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है और उसे विकास की मुख्यधारा में लाना जरूरी है.

जिला अध्यक्ष रवि सोलंकी ने कहा कि अंग्रेजों के वन कानूनों व भूमि बंदोबस्त ने आदिवासियों के अधिकार सीमित किए और आजादी के बाद भी उन्हें छल का सामना करना पड़ा. उन्होंने जल-जंगल-जमीन, संस्कृति, शिक्षा, स्वास्थ्य, बेरोजगारी, पलायन और संवैधानिक अधिकारों पर जोर देते हुए कहा कि आदिवासी अब भी गरीबी व कुपोषण से जूझ रहे हैं.

 

 

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