स्तनपान: शिशु के संपूर्ण विकास के लिए प्रकृति का सर्वोत्तम उपहार

स्तनपान: शिशु के संपूर्ण विकास के लिए प्रकृति का सर्वोत्तम उपहार

स्तनपान केवल भोजन नहीं है, बल्कि यह शिशु के लिए प्रकृति का पहला टीकाकरण है। यह न केवल संपूर्ण पोषण प्रदान करता है, बल्कि संक्रमणों से रक्षा करता है और मां–बच्चे के बीच भावनात्मक संबंध को भी मजबूत बनाता है। इसके साथ ही यह आगे चलकर मधुमेह, मोटापा, उच्च रक्तचाप और हृदय रोग जैसे कई दीर्घकालिक रोगों से सुरक्षा देता है और बुद्धिमत्ता का विकास करता है।
अनुसंधानों के अनुसार, सही तरीके से स्तनपान कराने से हर वर्ष 8.2 लाख से अधिक शिशु मृत्यु को रोका जा सकता है, विशेष रूप से पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में। जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान शुरू करने से लगभग 20% नवजात शिशुओं की मृत्यु टाली जा सकती है।

जन्म के पहले घंटे में ही स्तनपान प्रारंभ करना
गर्भ में 9 महीने बिताने के बाद जब शिशु जन्म लेता है, तो वह शारीरिक रूप से पूरी तरह तैयार होता है मां से पोषण प्राप्त करने के लिए. जन्म के तुरंत बाद शिशु को मां का पहला दूध क्लोस्ट्रम–पिलाना अत्यंत आवश्यक होता है. यह शिशु के लिए न केवल पोषण का पहला स्रोत है, बल्कि रोगों से सुरक्षा की ढाल भी है यानी उन्हें पानी सहित कोई अन्य भोजन या तरल पदार्थ नहीं दिया जाना चाहिए। शिशुओं को माँग पर स्तनपान कराया जाना चाहिए – यानी जितनी बार बच्चा चाहे, दिन-रात।

पहले 6 महीनों तक केवल स्तनपान कराना
सभी शिशुओं को 6 महीने तक केवल स्तनपान कराया जाए , यह आप और आपके शिशु पर निर्भर करता है कि सही समय कब है। जन्म से लेकर छह माह तक केवल मां का दूध ही बच्चों के लिए सर्वोत्तम आहार होता है. इस दौरान शिशु को न पानी, न शहद, न कोई अन्य दूध देना चाहिए. मां का दूध हर वह पोषक तत्व और एंटीबॉडी प्रदान करता है, जो नवजात को संक्रमणों से बचाने में मदद करता है. यह शिशु की मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक वृद्धि के लिए अत्यंत आवश्यक है.

“इसके बाद उचित पूरक आहार के साथ कम से कम 2 वर्ष तक स्तनपान जारी रखना” 6 महीने के बाद, उन्हें स्तनपान के साथ-साथ ठोस आहार भी देना शुरू कर देना चाहिए, और स्तनपान को 2 साल या उससे अधिक समय तक जारी रखना चाहिए. स्तनपान बंद करने को वीनिंग कहा जाता है।
प्रसव हो या सिजेरियन डिलीवरी, स्तनपान की शुरुआत में देरी नहीं होनी चाहिए. ऑपरेशन थियेटर से बाहर आते ही मां को सहारा देकर शिशु को स्तनपान कराया जा सकता है. इससे मां और शिशु दोनों का स्वास्थ्य बेहतर होता है .

शिशु के लिए स्तनपान के लाभ:
• डायरिया, न्यूमोनिया और कान के संक्रमणों से सुरक्षा
• मोटापा, मधुमेह, दमा, एलर्जी जैसी बीमारियों से बचाव
• मस्तिष्क का बेहतर विकास और ढ्ढक्त में वृद्धि
• ल्यूकेमिया (रक्त का कैंसर) का खतरा कम
• मां-बच्चे के बीच गहरा भावनात्मक संबंध
• अचानक शिशु मृत्यु सिंड्रोम (स्ढ्ढष्ठस्) का जोखिम घटत• स्तन, गर्भाशय और अंडाशय के कैंसर का खतरा कम

• रजोनिवृत्ति के बाद हड्डियों के कमजोर होने (ऑस्टियोपोरोसिस) का खतरा कम
• सरल, सस्ता और बिना किसी विशेष तैयारी के संभव
• रक्तस्राव को रोकने और आत्मविश्वास बढ़ाने में मददगार

“हर स्त्री को स्वयं पर विश्वास रखते हुए स्तनपान कराना चाहिए — क्योंकि यह उसके शिशु की पोषण और भावनात्मक आवश्यकताओं के लिए सबसे उत्तम है,

 

वसंत खलाटकर, अध्यक्ष,भारतीय बाल चिकित्सा अकादमी  2025

 

 

 

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