संरक्षणवाद के दौर में ऊंची वृद्धि बरकरार रखने के लिए आंतरिक कारकों पर ध्यान देने की जरूरत: सरकार

नयी दिल्ली, (वार्ता) सरकार ने कहा कि दुनिया में संरक्षणवाद की बढ़ती प्रवृत्ति और वैश्वीकरण के प्रति देशों की विमुखता से उत्पन्न वातावरण में भारत को 7-8 प्रतिशत की वृद्धि को बनाए रखने के लिए बढ़ोतरी को गति देने वाले घरेलू कारकों पर गहन ध्यान देने की आवश्यकता है।

योजना और सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) राव इंद्रजीत सिंह ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि वैश्विक प्रतिकूलताओं के बावजूद, भारत सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बना हुआ है और देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 2014 और 2025 के बीच (कोविड के वर्षों को छोड़कर) औसतन 7 प्रतिशत वार्षिक से अधिक की वृद्धि दर्ज की गयी है। उन्होंने कहा कि दुनिया में संरक्षणवाद और वैश्वीकरण के विमुख होने की प्रवृत्त से बने वैश्विक परिवेश में, 7-8 प्रतिशत की वृद्धि को बनाए रखने के लिए घरेलू विकास कारकों पर गहन ध्यान देने की आवश्यकता है।

श्री राव ने कहा कि सरकार ने संभावित जोखिमों को कम करने और उभरते अवसरों का लाभ उठाने के लिए कई रणनीतियाँ अपनाई हैं, जिनका ध्यान घरेलू क्षमताओं को मज़बूत करने, निर्यात को बढ़ावा देने, आपूर्ति श्रृंखलाओं में विविधता लाने, आयात के वैकल्पिक स्रोतों की खोज करने और समग्र आर्थिक मजबूती बढ़ाने पर केंद्रित है।

उन्होंने कहा कि भारत के पास कामकाजी युवा आबादी का लाभ जीडीपी वृद्धि को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रस्तुत करता है। उत्पादकता को बढ़ावा देने, निजी निवेश को आकर्षित करने और समावेशी, नवाचार-आधारित एवं सुदृढ़ विकास को गति देने के लिए महिला श्रम बल की भागीदारी को बढ़ाने, युवा आबादी के लाभ का दोहन करने के लिए कार्यबल को कुशल बनाने, और वित्तीय समावेशन एवं आर्थिक गतिविधियों को संगठित तरीके से संचालित करने को बढ़ावा देने के लिए डिजिटलीकरण में तेज़ी लाने के प्रयास आवश्यक हैं। ये कार्यक्रम केंद्र-राज्य समन्वय और संस्थागत सुदृढ़ीकरण के साथ लागू करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं।

उन्होंने कहा कि भारत की वृद्धि की मध्यम आवधिक संभावनाएं एक दशक के मजबूत आर्थिक प्रदर्शन पर आधारित हैं। पिछले दस वर्ष में सुदृढ़ वृहद आर्थिक बुनियादी सिद्धांतों और निरंतर संरचनात्मक एवं शासन सुधारों से संभावनाओं को मजबूत आधार मिला है। इस दौरान श्रम बाजार , भूमि अभिलेखों का आधुनिकीकरण, कर , दिवाला और दिवालियापन की नयी नियामक व्यवस्था की शुरुआत, अचल संपत्ति विनियमन और वित्तीय क्षेत्र में महत्वपूर्ण सुधार किए गए हैं।

उन्होंने कहा कि सरकार नियमों को आसान बनाने, बुनियादी ढांचे में निवेश और एमएसएमई विकास पर केंद्रित रणनीति के लिए प्रतिबद्ध है।

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