
विदिशा,ग्राम पंचायत आनंदपुर में बाल श्रम का एक शर्मनाक और चिंताजनक मामला सामने आया है. यहां छोटे-छोटे बच्चे नालियों की सफाई जैसे कठिन कार्य कर रहे हैं, जबकि उनके माता-पिता सरकारी योजनाओं के तहत मजदूरी की तनख्वाह उठा रहे हैं. जिनकी उम्र स्कूल जाने और खेलने की है, फावड़ा और झाड़ू लेकर नालियों की गंदगी साफ करते नजर आते हैं.यह मामला मानवता को झकझोरने वाला है, बल्कि बाल अधिकारों और शिक्षा के मौलिक अधिकार की सीधी अवहेलना है.
सरपंच एवं पंचायत सचिव इस पूरी स्थिति से पूरी तरह वाकिफ हैं, लेकिन उन्होंने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया। पंचायत द्वारा सफाई व्यवस्था केवल औपचारिकता बनकर रह गई है. सरकारी फंड खर्च हो रहा है, लेकिन नालियों की स्थिति जस की तस है. ऐसे में यह समझना मुश्किल नहीं कि सफाई व्यवस्था में खानापूर्ति हो रही है और असली कार्य बच्चों से करवाकर न केवल बाल श्रम कानून का उल्लंघन किया जा रहा है, बल्कि उनकी सेहत और शिक्षा से भी खिलवाड़ किया जा रहा है.
यह स्थिति तब और गंभीर हो जाती है जब देखा जाता है कि प्रशासन भी इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए है. कोई जांच, कोई रोकथाम, और न ही बच्चों के पुनर्वास या शिक्षा की कोई योजना नजर आ रही है. इस मामले में आंनदपुर पंचायत के सचिव मानकचंद साहू का कहना है कि पंचायत ने किसी भी नाबालिग को सफाई के काम पर नहीं रखा है बच्चे के पिता काम करते होंगे हो सकता है पिता की जगह पर काम करने आ गया होगा.
