मासूमों के लिए काल साबित हुई परित्यक्त खदान, डूबने से दो बहनों की मौत

सतना . मनमाना गड्ढा खोद कर खनिज पदार्थों का भरपूर दोहन करने के बाद खदानों को युं ही खुला छोड़ देने का चलन सतना और मैहर जिले में अब तक सैकड़ों मासूमों को लील चुका है. इस मामले को लेकर व्यवस्था जितनी संवेदनहीन है उसे देखकर अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है कि आगे भी न जाने कितने मासूम ऐसे ही अपनी जान गंवाते रहेंगे. ताजा मामला मैहर जिले के नादन थाना क्षेत्र अंतर्गत बठिया गांव में सामने आया. जहां पर बरसाती पानी से भरी हुई खुली खदान में डूबने से दो मासूम बहनों की मौत हो गई.

प्राप्त जानकारी के अनुसार मैहर जिले के नादन थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम बठिया निवासी पिंटू कोल की दो बच्चियां पुष्पा कोल 10 वर्ष और प्राची कोल 8 वर्ष हर रोज की तरह सोमवार की सुबह भी अपने घर के बाहर खेल रही थीं. बताया गया कि सुबह के लगभग साढ़े 10 बजे दोनों बच्चियां खेलते-खेलते घर के पीछे की ओर चली गईं. जहां पर एक खुली खदान मौजूद थी. पिछले दिनों हुई बारिश के चलते उक्त खदान पानी से लबालब भरी हुई थी. इसी दौरान दोनों बच्चियां नहाने के उद्देश्य से खदान के पानी में उतर गईं. लेकिन खदान में बेतरतीब तरीके से गड्ढे होने के कारण उन्हें पानी की गहराई का जरा भी अंदाजा नहीं लगा. लिहाजा पैर गड्ढे में पड़ते ही संतुलन बिगडऩे के कारण दोनों बच्चियां पानी में गिर गईं. देखते ही देखते दोनों गहरे पानी में समा गईं.

वहीं दूसरी ओर जब काफी देर हो जाने के बावजूद भी दोनों बच्चियां वापस घर नहीं लौटीं तो परिजनों ने उनकी खोजबीन शुरु की. कुछ ग्रामीणों ने बताया कि बच्चियां खदान की ओर गई थीं. जिसके चलते परिजन उन्हें खोजते हुए खदान के पास पहुंच गए. जहां पर उन्हें बच्च्यिों के कपड़े पड़े मिले. अनहोनी की आशंका को देखते हुए परिजनों ने फौरन ही ग्रामीणों के साथ-साथ पुलिस को भी घटना की सूचना दे दी. कुछ ग्रामीणों ने हिम्मत जुटाते हुए पानी में उतरकर बच्चियों की तलाश शुरु कर दी. लगभग आधे घंटे से अधिक समय तक कड़ी मशक्कत करने के बाद ग्रामीणों ने पानी में डूबी दोनों बच्चियों के शव बाहर निकाल लिए. मासूम बच्चियों के शव को देखते ही परिजनों के बीच कोहराम मच गया.

पीडि़तों का ही दोष..?

घटना की सूचना मिलने पर पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे नादन थाना प्रभारी के एस बंजारे द्वारा दोनों बच्चियों के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टंम के लिए सिविल अस्पताल मैहर भेज दिया. पीएम के बाद अंतिम संस्कार के लिए शव परिजनों को सौंप दिया गया. प्रकरण दर्ज कर विवेचना का आश्वासन भी मिला. वहीं घटना के चलते पूरे गांव में मातम पसर गया. गौरतलब है कि सतना और मैहर नगर से सटे क्षेत्र सहित सुदूर ग्रामीण इलाकों में इस तरह की न जाने कितनी परित्यक्त खदानें मिल जाएंगी. जिसमें डूबकर हर वर्ष कई मासूमों की जान चली जाती है. यह सिलसिला भी नया नहीं बल्कि पिछले कई वर्षों से अनवरत जारी है. लेकिन इसके बावजूद भी खदानों को युं ही खुला छोड़ देने वालों के विरुद्ध किसी तरह की ठोस कार्रवाई किए जाने के बजाए घटनाओं का ठीकरा पीडि़तों पर ही मढ़ दिया जाता है. जिम्मेदार हर बार यह कहकर कन्नी काट लेते हैं कि लोगों को खुली खदानों की ओर जाने की आवश्यकता ही क्या है.

 

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