इंदौर: इंदौर में दो ब्रिज की भुजा को लेकर पीडब्ल्यूडी की इंजीनियरिग पर प्रश्न चिन्ह खड़े हो रहे है. जब इस विषय में बात की गई तो पीडब्ल्यूडी की प्रभारी कार्यपालन यंत्री कहती है कि कौन सी किताब में लिखा है कि 90 डिग्री मोड का ब्रिज नही बन सकता है? उक्त कार्यपालन यंत्री से पूछना चाहिए कि कौन सी किताब में लिखा है कि 90 मोड का ब्रिज बनाकर दुर्घटना स्थल बनाया जाता है.
इंदौर के बाणगंगा रेलवे ओवर ब्रिज की एक भुजा का पीलर मरीमता से उज्जैन रोड को जाने वाले ब्रिज से चिपकाकर बनाया गया है. वर्तमान स्थिति में पीडब्ल्यूडी द्वारा निर्मित उक्त ब्रिज खातीपुरा से उज्जैन रोड की तरफ मुड़ेगा. अब सवाल उठता है कि जब ब्रिज का आखरी पीलर ही पुराने ब्रिज पर खड़ा है। उस स्थिति में मोड़ जिफको अंग्रेजी में कर्व कहते है वो कितने एंगल मुड़ेगी?
इस बारे में जब इंदौर की प्रभारी कार्यपालन यंत्री गुरमीत कौर से बात की गई तो उन्होंने सवाल किया कि किस किताब में लिखा है कि ब्रिज पर 90 डिग्री का मोड़ नहीं बनता है? अभी तक दोनों ब्रिज के पीलर सही खड़े हुए है. ब्रिज पूर्णतया सही बन रहे है. कर्व की डिजाइन को देख रहे है. जब प्रभारी कार्यपालन यंत्री कौर से कहा कि आप ब्रिज की डिजाइन दे दीजिए या बता दीजिए , तो उन्होंने एक बैठके होने का कहकर कॉल काट दिया. स्वयं को एमटेक डिग्रीधारी होने का बताने वाली प्रभारी कार्यपालन यंत्री से सवाल है कि किस किताब में लिखा है कि ब्रिज का मोड 90 डिग्री का होना चाहिए और दुर्घटना स्थल बनना चाहिए?
