सतना :जिला अस्पताल में पदस्थ शासकीय मेडिकल कॉलेज के चिकित्सक द्वारा गर्भस्थ शिशु को मृत बताकर गर्भपात कराने की सलाह दिए जाने के मामले की जांच मेडिकल कॉलेज के डीन और सिविल सर्जन द्वारा जी जाएगी. इस संबंध में सीएमएचओ द्वारा डीन को पत्र भी लिखा गया है.गर्भस्थ शिशु को मृत बताने के मामले को संज्ञान में लेते हुए मुख्य चिकित्सा व स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एल के तिवारी द्वारा शासकीय मेडिकल कॉलेज सतना के डीन डॉ. शशिधर गर्ग को पत्र लिखा गया है. जिसमें इस बात का उल्लेख किया गया है कि मामले की विस्तृत जांच कराई जाए. जांच में जो भी तथ्य सामने आते हहैं उसके आधार पर आगे की कार्रवाई सुनिश्चत की जा सके.
लिहाजा इस मामले में एक ओर जहां मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. गर्ग तो वहीं दूसरी ओर जिला चिकित्सालय के सिविल सर्जन डॉ. मनोज शुक्ला द्वारा जांच की जाएगी. इस मामले में सीएमएचओ और सिविल सर्जन दोनों द्वारा ही यह स्वीकार करने में कोई गुरेज नहीं किया जा रहा है कि इस घटना से जिला अस्पताल की छवि पर असर पड़ा है. लिहाजा अब देखने वाली बात होगी कि सीनियर चिकित्सकों द्वारा की की जाने वाली एक जूनियर चिकित्सक की जांच के जरिए क्या तथ्य निकलकर सामने आ पाते हैं.
क्या है मामला
रामपुर बघेलान क्षेत्र के चकेरा गांव की निवासी श्रीमती दुर्गा द्विवेदी 24 वर्ष को प्रसव पीड़ा होने पर जिला अस्पताल के लिए रेफर कियास गया था. जहां पर भर्ती करने के बाद प्रसव पीडि़ता की डापलर और अल्ट्रासोनोग्राफी की जांच कराई गई. जिसके आधार पर वहां पर तैनात मेडिकल कॉलेज के सीनियर रेजीडेंट चिकित्सक ने बताया कि गर्भस्थ शिशु की मौत हो चुकी है. लिहाजा इस मामले में जच्चा की सुरक्षा को देखते हुए गर्भपात कराना ही उचित होगा. लेकिन चिकित्सक की सलाह पर परिजनों को तनिक भी भरोस नहीं हुआ. लिहाजा वे प्रसव पीडि़ता को अपने जोखिम पर निजी अस्पताल ले गए. जहां पर महिला ने 3.8 किलो के स्वस्थ्य बच्चे को जन्म दिया. इस घटना की जानकारी सामने आते ही जिला चिकित्सालय में पदस्थ चिकित्सक की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े होने लगे
