आतंकवाद के मुद्दे पर भारत के खरे बोल

तियानजिन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन की बैठक केवल एक औपचारिक मंच नहीं रही, बल्कि यह वैश्विक शक्ति समीकरणों में भारत की नई भूमिका का संकेतक बनी. विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने जिस दृढ़ता और स्पष्टता के साथ आतंकवाद पर दो-टूक रुख अपनाया, वह भारत की विदेश नीति में ‘रक्षात्मक रणनीति’ से ‘प्रोएक्टिव डिटरेंस’ की ओर बदलाव का प्रतीक है.

जयशंकर का वक्तव्य केवल पाकिस्तान को नहीं, बल्कि उन वैश्विक और क्षेत्रीय ताकतों को भी सीधी चेतावनी है, जो आतंकवाद के मुद्दे पर दोहरे मानदंड अपनाती हैं. पहलगाम हमले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि भारत आतंकवाद को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेगा और आवश्यक हुआ तो कठोर जवाबी कार्रवाई करेगा. यह संकेत है कि भारत अब आतंकवाद को केवल सुरक्षा चुनौती नहीं, बल्कि अपनी संप्रभुता पर सीधा हमला मानता है. दरअसल,

‘ऑपरेशन सिंदूर’ को सही ठहराना केवल सैन्य निर्णय का बचाव नहीं था, बल्कि एक रणनीतिक संदेश भी था—यदि भारत पर हमला होगा, तो जवाब उसी पैमाने पर दिया जाएगा.

भारत का यह आक्रामक रुख केवल पाकिस्तान तक सीमित नहीं रहा. जयशंकर ने बैठक में ‘‘संप्रभु समानता’’ और ‘‘क्षेत्रीय अखंडता’’ का मुद्दा उठाकर चीन की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव को अप्रत्यक्ष चुनौती दी. यह भारत की उस स्थायी नीति की पुनर्पुष्टि है जिसमें किसी भी बहुपक्षीय सहयोग को संप्रभुता से समझौता करके स्वीकार नहीं किया जाएगा.

यह रुख खासतौर पर महत्वपूर्ण है क्योंकि चीन लगातार पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर में परियोजनाओं के जरिए भारत की संवेदनशील सीमाओं पर अपनी उपस्थिति बढ़ा रहा है.

जयशंकर का वक्तव्य तीन स्तरों पर असर डालेगा,पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश कि सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक के बाद अब ऑपरेशन सिंदूर भारत की नई आक्रामक नीति का हिस्सा है.

भारत केवल आर्थिक भागीदार नहीं, बल्कि सुरक्षा और संप्रभुता के मुद्दों पर कठोर रुख अपनाने वाला राष्ट्र है और भारत की नीति अब केवल विकास-केंद्रित नहीं, बल्कि सुरक्षा, स्थिरता और आतंकवाद-रोधी एजेंडा पर केंद्रित हो रही है. इससे भारत को पश्चिमी देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों का समर्थन मिलेगा.

आतंकवाद पर जीरो टॉलरेंस को लेकर केवल बयान नहीं, बल्कि सैन्य और आर्थिक जवाब भी दिया जाएगा. विश्व मंचों पर भारत की आक्रामक मौजूदगी रहेगी. कुल मिलाकर, भारत की विदेश नीति अब “संतुलनकारी शक्ति” से आगे बढक़र “निर्धारित रणनीतिक भूमिका” की ओर बढ़ रही है. यह संकेत है कि भारत न केवल एशिया की भू-राजनीतिक गणनाओं में बल्कि वैश्विक स्थिरता में भी निर्णायक कारक बनने को तैयार है. दरअसल जिस तरह से एस जयशंकर ने चीन के सामने पाकिस्तान की हेकड़ी निकाली, उसकी प्रशंसा की जानी चाहिए. भारत के विदेश मंत्री ने पाकिस्तान को राष्ट्रपति शी जिनपिंग के सामने कड़ा संदेश देते कहा कि भारत आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करेगा. जयशंकर ने कहा कि भारत आतंकियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करेगा. भारत की इस लताड़ के बाद पाकिस्तान के सुर बदले-बदले दिखे.

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