आणंद, 05 जुलाई (वार्ता) केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने शनिवार को गुजरात के आणंद में कहा कि देश में 40 लाख कर्मचारी और 80 लाख बोर्ड सदस्य सहकारी गतिविधियों से जुड़े हैं और 30 करोड़ लोग यानी देश का हर चौथा नागरिक सहकारिता आंदोलन का हिस्सा है।
श्री शाह ने आणंद में दुनिया की पहली सहकारी यूनिवर्सिटी त्रिभुवन सहकारिता यूनिवर्सिटी के शिलान्यास अवसर पर विश्वास व्यक्त किया कि यह यूनिवर्सिटी सहकारी कर्मचारियों और सदस्यों के प्रशिक्षण के लिए सुचारू व्यवस्था के अभाव को दूर करेगी। यह यूनिवर्सिटी केवल प्रशिक्षित कर्मचारी ही नहीं, बल्कि त्रिभुवनदास पटेल जैसे समर्पित सहकारी नेता भी तैयार करेगी। सहकारी क्षेत्र में होने वाली भर्तियों में इस यूनिवर्सिटी से शिक्षा प्राप्त करने वालों को नौकरी मिलेगी। इसके कारण सहकारी संस्थानों की भर्तियों में लगने वाले भाई-भतीजावाद के आरोप खत्म होंगे और पारदर्शिता आएगी। यह यूनिवर्सिटी तकनीकी और एकाउंटेंसी कौशल के साथ-साथ वैज्ञानिक दृष्टिकोण और सहकारी संस्कारों की शिक्षा प्रदान करेगी।
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने त्रिभुवनदास पटेल के योगदान को याद करते हुए कहा कि उन्होंने 1946 में खेड़ा जिला सहकारी दुग्ध उत्पादन संघ की स्थापना की थी, जो आज अमूल ब्रांड के रूप में दुनिया का सबसे प्रतिष्ठित ब्रांड बन गया है। उन्होंने कहा कि अमूल 36 लाख महिलाओं के माध्यम से 80 हजार करोड़ रुपये का कारोबार करता है। सहकारिता की यह पहल ब्रिटिश शासन के दौरान पोलसन डेयरी द्वारा पशुपालकों के साथ किए जाने वाले अन्याय के खिलाफ एक लड़ाई थी।
उन्होंने कहा कि यह यूनिवर्सिटी सहकारी गतिविधियों को ग्रामीण और शहरी अर्थव्यवस्था की मुख्यधारा बनायेगी। यह नवाचार, अनुसंधान और प्रशिक्षण को प्रोत्साहन देगी और दो लाख नयी सहकारी समितियां बनाने सहित अन्य योजनाओं को धरातल पर उतारेगी। उन्होंने देश भर के सहकारी विशेषज्ञों से इस यूनिवर्सिटी के साथ जुड़कर अपना योगदान देने का आह्वान किया और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में इस सर्वसमावेशी कदम पर संतोष व्यक्त किया।
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि इस यूनिवर्सिटी का नाम त्रिभुवनदास पटेल के नाम पर रखना उचित है। केंद्र सरकार ने दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सहकारी गतिविधियों में उनके योगदान को ध्यान में रखकर यह नामकरण किया है। श्री त्रिभुवनदास पटेल जब अमूल से सेवानिवृत्त हुये, तब छह लाख महिलाओं ने एक-एक रुपये एकत्र कर उन्हें छह लाख रुपये की भेंट दी थी। उस भेंट को उन्होंने सेवा गतिविधियों के लिए दान कर दिया था। उन्होंने ही डॉ. वर्गीज कुरियन को उच्च अभ्यास के लिए विदेश भेजा था। उन्होंने डॉ. कुरियन के योगदान को भी महत्वपूर्ण बताया।
कार्यक्रम में श्री शाह, श्री भूपेंद्र पटेल सहित अन्य महानुभावों ने राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण केंद्र (एनसीईआरटी) द्वारा सहकारिता पर तैयार पाठ्यपुस्तक के दो मॉड्यूल का विमोचन किया। श्री शाह ने इस मॉड्यूल की तरह गुजरात के शैक्षिक पाठ्यक्रम में भी सहकारी गतिविधियों को शामिल करने का प्रेरक सुझाव दिया।
