नयी दिल्ली, 04 जुलाई (वार्ता) दिल्ली विधान सभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने वर्ष 2025–26 के लिए आज दिल्ली विधानसभा की 6 विशेष समितियों का किया गठन जिनमें दिल्ली नगर निगम, शांति एवं सद्भाव, वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण, ट्रांसजेंडर्स के कल्याण सहित अन्य विषयों पर समितियाँ शामिल हैं।
श्री गुप्ता ने कहा कि गठन के साथ ही दिल्ली विधानसभा में कुल समितियों की संख्या बढ़कर 35 हो गई है। इन समितियों का उद्देश्य व्यवस्था को मजबूत करना और उपेक्षित समुदायों की समस्याओं पर केंद्रित ध्यान देना है। इन नई समितियों के गठन से विधानसभा ने जवाबदेह और समानता आधारित कानून बनाने के अपने संकल्प को और मजबूत किया है।
दिल्ली विधानसभा सदस्यों के वेतन और अन्य भत्तों पर विशेष समिति में अभय कुमार वर्मा को अध्यक्ष जबकि गजेंद्र सिंह यादव, पूनम शर्मा, राज कुमार चौहान, संजीव झा, सूर्य प्रकाश खत्री, तरविंदर सिंह मारवाह, विशेष रवि और चौधरी जुबैर अहमद सदस्य बनाये गये।
सदस्यों के साथ सरकारी अधिकारियों द्वारा प्रोटोकॉल उल्लंघन और अवमाननापूर्ण व्यवहार पर विशेष सदन समिति में संजय गोयल को अध्यक्ष जबकि डॉ. अनिल गोयल, अनिल झा, अनिल कुमार शर्मा, जरनैल सिंह, कर्नेल सिंह, कुलवंत राणा, ओम प्रकाश शर्मा और सूर्य प्रकाश खत्री सदस्य बनाए गए।
दिल्ली नगर निगम पर विशेष समिति में रविंदर सिंह नेगी को अध्यक्ष जबकि डॉ. अजय दत्त, आले मोहम्मद इकबाल, अशोक गोयल, आतिशी, कुलवंत राणा, मनोज कुमार शोकीन, राज कुमार भाटिया और संदीप सहरावत सदस्य बनाये गये।
शांति एवं सद्भाव पर विशेष समिति में चंदन कुमार चौधरी को अध्यक्ष जबकि आले मोहम्मद इकबाल, अशोक गोयल, कुलवंत राणा, मनोज कुमार शोकीन, नीलम पहलवान, पुनर्दीप सिंह साहनी, श्याम शर्मा और सूर्य प्रकाश खत्री सदस्य बनाए गये।
वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण पर विशेष समिति में तिलक राम गुप्ता को अध्यक्ष जबकि जितेंद्र महाजन, करतार सिंह तंवर, ओम प्रकाश शर्मा, पवन शर्मा, राम सिंह नेताजी, सतीश उपाध्याय, उमंग बजाज और वीर सिंह धिंगान सदस्य बनाए गए।
ट्रांसजेंडर्स एवं दिव्यांगजनों के कल्याण पर विशेष समिति में कर्नैल सिंह अध्यक्ष जबकि डॉ. अनिल गोयल, हरीश खुराना, कैलाश गहलोत, कैलाश गंगवाल, मनोज कुमार शोकीन, प्रेम चौहान, शिखा रॉय और वीरेंद्र सिंह कादियान सदस्य बनाए गए।
श्री गुप्ता ने कहा कि इन विशेष समितियों का गठन दिल्ली विधानसभा की शासन संबंधी बदलती चुनौतियों का सामना करने की भूमिका को दर्शाता है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि ये समितियाँ केवल संस्थागत तंत्र नहीं, बल्कि सामाजिक उत्तरदायित्व का भी प्रतीक है।

