भारत में रक्षा और अंतरिक्ष क्षेत्र में निवेश बढ़ाने में केंद्रीय सरकार सक्रिय

लेखक: श्री अमेय बेलोरकर, वरिष्ठ उपाध्यक्ष, आईडीबीआई कैपिटल मार्केट्स ऐंड सिक्योरिटीज़

भारत एक दशक से भी कम समय में दुनिया के सबसे बड़े रक्षा हथियार आयातक से एक उभरता हुआ निर्यातक बन गया है। कभी अपनी 70% रक्षा आवश्यकताओं के लिए आयात पर अत्यधिक निर्भर रहने वाला भारत अब 100 से ज़्यादा देशों को उपकरण की आपूर्ति करने के मामले में काफ़ी आगे बढ़ गया है। यह निर्यात वित्तवर्ष 2013-14 में ₹686 करोड़ से बढ़कर अब वित्तवर्ष 2023-24 में ₹ 21,083 करोड़ का हो गया है। यह महत्वपूर्ण परिवर्तन सरकारी पहलों का परिणाम है। भारत न सिर्फ़ आत्मनिर्भर रक्षा वातावरण का निर्माण कर रहा है, बल्कि यह एयरोस्पेस विनिर्माण के क्षेत्र में रक्षा के मामलों में वैश्विक नेता बनने का मंच भी तैयार कर रहा है।

आत्मनिर्भरता और घरेलू विनिर्माण क्षमता को परिभाषित करना

भारत के रक्षा तंत्र के केंद्र में एक स्पष्ट रणनीतिक इरादा है – आयात पर निर्भरता को कम करना। 2020 में लॉन्च किया गया, “आत्मनिर्भर भारत” दरअसल भारत को सभी क्षेत्रों में एक विनिर्माण केंद्र के रूप में देखता है, जहाँ रक्षा और एयरोस्पेस सर्वोच्च प्राथमिकताएँ हैं। इसके अलावा, “मेक इन इंडिया” भारत में निवेश और निर्माण के लिए निजी और विदेशी कंपनियों को आमंत्रित करके इस मिशन को आगे बढ़ाने के लिए कार्य करता है। भारतीय निर्माताओं के लिए एक गारंटीयुक्त बाज़ार मुहैया करवाने के लिए, “पॉज़िटिव इंडिजिनाइज़ेशन लिस्ट” में यह क्लॉज़ शामिल है कि उपकरण, हथियार और प्लैटफ़ॉर्म को घरेलू रूप से सोर्स किया जाना चाहिए।

रक्षा मंत्रालय समर्पित बजट आवंटन द्वारा समर्थित उत्पादों की स्थानीय खरीद पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। हल्के टैंक और रडार सिस्टम जैसी कई वस्तुओं का उत्पादन अब देश के भीतर किया जा रहा है। नतीजतन, घरेलू विनिर्माण उद्योगों ने निवेश में वृद्धि, अधिक अनुसंधान और विकास प्रयासों और सहयोग में वृद्धि भी देखी है।

निवेश के अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र बनाने वाले साहसिक नीतिगत सुधार

विकास को बढ़ावा देने के लिए, केंद्र सरकार ने महत्वपूर्ण सुधार किए हैं। रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (डीएपी) की पूरी जाँच करने पर पता चलता है कि “भारतीय खरीदें” उत्पाद श्रेणियों को प्राथमिकता दी गई है और खरीदारी प्रक्रिया को सरल बनाया गया है। लाइसेंसिंग की तेज़ प्रक्रिया, सुव्यवस्थित निकासी और निजी क्षेत्र के ऐक्टिव प्रमोशन जैसे कारकों से प्रेरित होकर निवेश के अनुकूल वातावरण बनाने के उपाय किए गए हैं। भारत को निवेश के अनुकूल बनाने में मदद करने वाले अन्य कारकों में राजकोषीय प्रोत्साहन शामिल हैं, जिनमें टैक्स लाभ, अनुसंधान और विकास अनुदान और परीक्षण सुविधाएँ शामिल हैं।

भारतीय रक्षा उत्पाद और उनका निर्यात

भारतीय रक्षा उत्पादों की वैश्विक स्वीकृति देश में किए गए सकारात्मक सुधारों का प्रमाण है। रक्षा निर्यात ने पिछले वित्तवर्ष की तुलना में 32.5% की रिकॉर्ड वृद्धि को छुआ, जो यह भी दर्शाता है कि वित्तवर्ष 2013 -14 की तुलना में पिछले 10 वर्षों में निर्यात में 31 गुना की वृद्धि हुई है। शीर्ष खरीदारों के रूप में उभरते हुए संयुक्त राज्य अमेरिका, फ़्रांस और आर्मेनिया जैसे प्रमुख प्राप्तकर्ता गुणवत्ता, सामर्थ्य और नवाचार के लिए भारत की बढ़ती प्रतिष्ठा को दिखाते हैं।

देश में रक्षा औद्योगिक गलियारे प्रतिष्ठानों ने उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु जैसे राज्यों में रक्षा से संबंधित उत्पादों के निर्माण को और मज़बूत किया है। उदाहरण के लिए, “मेड-इन-बिहार” सैन्य जूते का उपयोग अब रूसी सेना के कर्मचारी भी कर रहे हैं। भारतीय कंपनियां ब्रह्मोस मिसाइलों और नौसेना के जहाज़ों को बुलेटप्रूफ़ जैकेट और निगरानी प्रणाली की आपूर्ति कर रही हैं। इसके अलावा, भारत के स्वदेशी प्लैटफ़ॉर्म – जैसे तेजस लड़ाकू जेट, ध्रुव हेलीकॉप्टर और पिनाका रॉकेट सिस्टम में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रुचि दिखाई जा रही है। सरकार ने 2029 तक रक्षा निर्यात में ₹50,000 करोड़ हासिल करने का लक्ष्य निर्धारित किया है – एक ऐसा लक्ष्य जो वर्तमान विकास की वक्र रेखा को देखते हुए सकारात्मक रूप से प्राप्त किया जा सकता है।

नेक्स्ट-जेनरेशन टेक्नोलॉजी के साथ आगे का भविष्य

भारत सरकार क्वांटम टेक्नॉलॉजी, आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस, अंतरिक्ष आधारित निगरानी और स्वायत्त वाहनों जैसे उन्नत और भविष्य के क्षेत्रों में लगातार निवेश कर रही है। सह-विकास और सह-उत्पादन साझेदारी पर ज़ोर दिया गया है जहाँ एमएसएमई और स्टार्टअप आपूर्ति शृंखला का एक अभिन्न अंग बन रहे हैं।

निर्भरता से प्रभुत्व तक, रक्षा और एयरोस्पेस निर्यात में भारत की यात्रा असाधारण रही है। चूँकि सरकार निरंतर नीतिगत समर्थन, कौशल विकास और वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं के मज़बूत एकीकरण पर ध्यान केंद्रित करती है, इसलिए भारत वैश्विक रक्षा निर्यातक के रूप में नेतृत्व करने की राह पर है। आने वाले दशक में भारत वैश्विक रक्षा और एयरोस्पेस की दुनिया को सक्रिय रूप से आकार देगा।

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