भोपाल। कालजयी रचनाकार दुष्यंत की पचासवीं पुण्यतिथि मनाई गई. इस अवसर पर आयोजित मासिक श्रृंखला 5 के अंतर्गत ‘ स्मृतियों में दुष्यंत ‘ कार्यक्रम का आयोजन हुआ. दुष्यन्त संग्रहालय के राज सभागार में आयोजित कार्यक्रम वक्ताओं का जमावड़ा रहा. आयोजन की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार और आलोचक डॉ.विजयबहादुर सिंह ने कहा कि दुष्यंत कुमार ने सिर्फ गज़ल ही नहीं साहित्य की सभी विद्याओं में प्रभावी और श्रेष्ठ लिया ,वे जयप्रकाश आंदोलन के कारण गजल में आए,उनका लेखन समूचे राष्ट्र और समाज के लिए एक सांस्कृतिक उपलब्धि थे. इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए वरिष्ठ गीतकार नरेंद्र दीपक ने कहा कि दुष्यंत एक गंभीर व्यक्ति होने के साथ बड़े खिलंदड़ और हंसमुख व्यक्ति थे वे जहां होते महफिल में ठहाके लगते थे. इस आयोजन में विशिष्ट अतिथि वक्ता राम प्रकाश त्रिपाठी ने अपने विचार रखते हुए कहा कि दुष्यंत कुमार का जीवन सतरंगी था उनके सृजन के विविध आयाम थे. इस अवसर पर सुपरिचित गजलकार आलोक त्यागी ने अपने पिता को स्मरण करते हुए बताया कि मेरे पिता समाज के साथ ही परिवार के प्रति भी समर्पण का भाव रखते थे ,जब भी समय मिलता में हमारे साथ समय व्यतीत करते थे. कार्यक्रम का सफल संचालन सुपरिचित साहित्यकार घनश्याम मैथिल अमृत ने किया.कार्यक्रम में दुष्यंत संग्रहालय की निदेशक करुणा राजुरकर ने स्वागत उद्बोधन देते हुए आयोजन के महत्व और दुष्यंत की स्मृतियों को साझा किया.
पुण्यतिथि: ‘स्मृतियों में दुष्यंत’ कार्यक्रम, साहित्यकारों ने साझा किए संस्मरण
