जबलपुर: 4 हजार लोगों के रहने का ठिकाना, 1200 परिवार की बसाहट और कचरा उठाने का वाहन सिर्फ 1….जी हां. ये हाल तिलहरी स्थित विस्थापित बस्ती का है जहां कचरा वाहन की कम संख्या और कचरा वाहन न पहुंचने से रहवासियों के सामने कई मुसीबतें खड़ीं हो गईं हैं। आज से करीब 6 साल पहले जब मदनमहल पहाड़ी में रह रहे लोगों के आशियाने हाईकोर्ट के निर्देश पर प्रशासन द्वारा ढहाए गए और लोगों को रहने के लिए तिलहरी में एक बस्ती दी गई तो रहवासियों ने सोचा कि अब उन्हें मूलभूत सुविधाओं से वंचित नहीं होना पड़ेगा और आसानी से जिंदगी कट जाएगी लेकिन हकीकत में ये बात बिल्कुल विपरीत साबित होते दिख रही है।
आलम यह है कि बीते 1 माह से तिलहरी की विस्थापित बस्ती में कचरा गाड़ी नहीं पहुंची है और वहां फैली गंदगी के बीच रहने लेाग मजबूर हो चुके हैं। इस गंदगी के बीच लोगों को डर है कि कहीं कोई संक्रामक बीमारी उन्हें या उनके परिवार के किसी को न घेर लें। लेकिन जिम्मेदार नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग को इससे कोई लेना देना नहीं है।
जिम्मेदार ने कहा पहुंच रहे वाहन
जानकारी के अनुसार तिलहरी स्थित विस्थापितों की बस्ती में करीब 1200 परिवार रह रहे हैं, मतलब करीब 4 हजार लोग यहां निवास कर रहे हैं। बस्ती के निवासियों ने नवभारत को बताया कि इतने सारे लोगों के बीच सिर्फ 1 कचरा गाड़ी कचरा उठाने उनके क्षेत्र में आती है लेकिन बीते 1 माह से वो भी नहीं आ रही है। लोगों ने नगर निगम प्रशासन से मांग की है कि उनकी बस्ती में कम से कम 4 कचरा वाहन सुबह-शाम नियमित भेजे जाएं जिससे साफ सफाई हमेशा बनी रहे। उधर जिम्मेदार स्वास्थ्य अधिकारी संदीप जायसवाल का कहना है कि तिलहरी में कचरा वाहन नियमित रूप से जाता है अगर फिर भी नहीं जा रहा है तो इसकी जांच कराई जाएगी।
कुछ इस तरह का रहता है जवाब
तिलहरी स्थित विस्थापित बस्ती के रहने वालों ने यह भी बताया कि नगर निगम के कचरा वाहन का कांच पता नहीं किसने तोड़ दिया था तभी से कचरा वाहन आना बंद हो गया है। लोगों ने सुपरवाइजर से पूछा तो सुपरवाइजर का कहना था कि पहले आप लोग लिखकर दें कि कांच किसने तोड़ा है उसके बाद वाहन आएगा… सुपरवाइजर का ये जवाब नगर निगम की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रहा है।
