भारत में एक लाख गोदाम होंगे, ग्रामीण भारत में बढ़ेगी खाद्य सुरक्षा और समृद्धि

नई दिल्ली, 20 मई (वार्ता) देश में फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान को रोकने और किसानों की आमदनी बढ़ाने के उद्देश्य से एक लाख से अधिक गोदामों की पहचान की गई है और ये गोदाम वेयरहाउसिंग विकास और विनियामक प्राधिकरण (डब्ल्यूडीआरए) के तहत लाए जाएंगे।
डब्ल्यूडीआरए की अध्यक्ष अनीता प्रवीण ने मंगलवार को यहां 16वें फिक्की फूडवर्ल्ड इंडिया 2025 सम्मेलन में कहा कि जैसे-जैसे भारत में कृषि उत्पादन बढ़ रहा है वैसे-वैसे भंडारण और खाद्य प्रसंस्करण की जरूरत भी बढ़ रही है। यदि इन क्षेत्रों में सुधार नहीं किया गया तो बड़ी मात्रा में अनाज बर्बाद हो सकता है।
इस मौके पर भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) की मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) जी. कमला वर्धन राव ने उपभोक्ता व्यवहार में हो रहे बड़े बदलाव पर जोर दिया और कहा, “अब लोग सुपरमार्केट नहीं जाते बल्कि सुपरमार्केट उनके घर आ रहा है।” उन्होंने उद्योग से अपील की कि वे पैकेज्ड फूड में पोषण पर ध्यान दें क्योंकि अब ज़्यादातर लोग घर का बना खाना कम खा रहे हैं। सरकार भी इस दिशा में सक्रिय है।
केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय के संयुक्त सचिव रंजीत सिंह ने बताया कि सरकार ने 1600 से अधिक परियोजनाओं को आर्थिक सहायता दी है, जिससे 41 लाख टन की प्रसंस्करण क्षमता विकसित हुई और नौ लाख किसानों को लाभ मिला है। इसके अलावा 7000 करोड़ रुपये के निवेश से 2.5 लाख से ज्यादा नौकरियां भी सृजित हुई हैं।
फिक्की खाद्य प्रसंस्करण समिति के अध्यक्ष हेमंत मलिक ने फूड लेबलिंग को लेकर उद्योग की चिंता जताई और कहा कि पोषण संबंधी जानकारी प्रति 100 ग्राम की बजाय सर्विंग साइज के अनुसार दी जानी चाहिए क्योंकि ज़्यादातर लोग छोटे पैक ही खरीदते हैं। उन्होंने पैकेज्ड फूड को “अल्ट्रा-प्रोसेस्ड” कहने से भी सतर्क रहने को कहा क्योंकि कई ऐसे उत्पाद जैसे सोया नगेट्स सस्ते और पौष्टिक विकल्प होते हैं।
फिक्की की महानिदेशक ज्योति विज ने कहा कि खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में ग्रामीण समृद्धि लाने की जबरदस्त क्षमता है। यह न सिर्फ किसानों की आमदनी बढ़ा सकता है, बल्कि छोटे शहरों में उद्यमिता को भी बढ़ावा देता है।
सम्मेलन में फिक्की और डेलॉयट द्वारा तैयार श्वेत पत्र “विकास को बढ़ावा देना : भारतीय खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में नवाचार और अवसर” भी जारी किया गया। इस रिपोर्ट में कुछ अहम बातें सामने आईं। भारत का खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र 7.7 प्रतिशत विनिर्माण योगदान देता है और करीब 70 लाख नौकरियां देता है।
ग्रामीण इलाकों में पहली बार पेय और प्रोसेस्ड फूड पर खर्च अनाज से ज़्यादा हुआ है। 77 प्रतिशत उपभोक्ता हाई-प्रोटीन फूड और 71 प्रतिशत कम या बिना शक्कर वाले उत्पाद पसंद कर रहे हैं। प्रीमियम उत्पादों की हिस्सेदारी बाजार में 27 प्रतिशत है लेकिन वे 42 प्रतिशत की ग्रोथ में योगदान दे रहे हैं। भारत अब भी कृषि उत्पादन का सिर्फ 10 प्रतिशत से कम ही प्रोसेस करता है, जो बड़ी संभावनाओं की ओर इशारा करता है।
फिक्की समिति के सह-अध्यक्ष और केलानोवा साउथ एशिया के प्रबंध निदेशक प्रशांत पेरेस ने भी इस अवसर पर खाद्य क्षेत्र में नवाचार और ग्रामीण भारत की भूमिका को रेखांकित किया।

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