जबलपुर: जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग पर दो आतंकियों को ढेर करने वाले रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ ) के एक इंस्पेक्टर की अपील हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है। चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत व जस्टिस विवेक जैन की युगलपीठ ने पूरे मामले का अवलोकन के दौरान पाया कि एकलपीठ ने कोर्ट ऑफ इंक्वायरी द्वारा मिशन में शामिल सभी सदस्यों के वीरता की सराहना की थी, साथ अपीलार्थी व अन्य जवानों के लिये डीजी प्रशस्ति पत्र व नगद पुरुस्कार के लिये संस्तुति की थी, वीरता पुरुस्कार प्रदान करने के लिये नियमों के तहत कोई वैधानिक प्रावधान नहीं है, यह जांच न्यायालय की जांच व उसके विवेकाधिकार पर आधारित है, जिस पर न्यायालय ने हस्तक्षेप से इंकार कर दिया था। युगलपीठ ने एकलपीठ के आदेश को सही ठहराते हुए दायर अपील खारिज कर दी।
दरअसल हाईकोर्ट में यह अपील भोपाल निवासी रेवाशंकर योगी की ओर से वर्ष 2013 में दायर की गई है। जिसमें कहा गया है कि उसने दो जवानों के साथ 1 अप्रैल 2008 को अनंतनाग में हिजबुल मुजाहिद्दीन के दो आतंकी असलम खान और जावेद अहमद को मार गिराया था। आतंकी अमरनाथ यात्रियों पर हमला करने की फिराक में थे। उक्त उत्कृष्ट कार्य के लिए उसे आउट ऑफ टर्न प्रमोशन मिलना था। सीआरपीएफ के तत्कालीन डीआईजी की अनुशंसा के बाद भी ऐसा नहीं किया गया, जिस पर हाईकोर्ट की शरण ली गई है।
न्यायालय ने पाया कि उक्त मामले में जांच न्यायालय ने निष्कर्ष निकाला था कि बल के सभी सदस्यों ने बहादुरी, साहस और अपनी वीरता का परिचय दिया है। जिनके योगदान की सराहनी की जानी चाहिये, जिसके लिये डीजी प्रशस्ति पत्र से सम्मानित करने की अनुशंसा भी की गई थी। पूरा रिकार्ड अवलोकन करने के बाद ही एकलपीठ ने मामले में हस्तक्षेप से इंकार किया था। जिसे सही ठहराते हुए युगलपीठ ने दायर अपील खारिज कर दी।
