पूर्वोत्‍तर क्षेत्र विकास पर सम्मेलन में 80 देशों के राजनयिक हुए शामिल

नयी दिल्ली, 16 अप्रैल (वार्ता) सरकार ने विदेशी उद्यमियों को देश के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में कारोबार और आर्थिक सहयोग

में भाग लेने के लिए आकर्षित करने के उद्येश्य से भारत में स्थित विदेशी राजनयिक मिशनों से उस क्षेत्र में कारोबार की संभावनाओं और अवसरों का पता लगाने का आह्वान किया है।

उत्तर-पूर्वी अंचल के कारोबार और विकास में अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने और वैश्विक निवेश को बढ़ावा देने के उद्देश्य राजधानी में आयोजित बैठक में 80 से अधिक देशों के राजदूतों, उच्चायुक्तों और वरिष्ठ राजनयिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया। यह बैठक अगले माह 23-24 तारीख को आयोजित किए जा रहे पूर्वोत्तर शिखर सम्मेलन से पहले किए जाने वाले कार्यक्रमों का हिस्सा थी। बैठक को पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और राज्य मंत्री डॉ. सुकांत मजूमदार ने संबोधित किया।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सम्मेलन के लिए एक वीडियो संदेश भेजा था।

पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय (डोनर मंत्रालय) ने आज एक विज्ञप्ति में कहा कि मंगलवार को आयोजित इस बैठक का उद्देश्य उत्तर पूर्वी क्षेत्र (एनईआर) की अकूत संभावनाओं को प्रदर्शित करना और सतत विकास के लिए द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना था।

विज्ञप्ति में कहा गया है कि इस कार्यक्रम को अपेक्षित सफलता मिली। इसमें भाग लेने वाले राजदूतों और राजनयिक दूतों ने उत्तर पूर्वी राज्यों-अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा द्वारा पेश की गई संभावनाओं का पता लगाने के लिए भारतीय हितधारकों के साथ साझेदारी करने में गहरी रुचि व्यक्त की।

मंत्रालय ने कहा कि इस कार्यक्रम ने न केवल सार्थक संवाद को बढ़ावा मिला, बल्कि इसने भविष्य की साझेदारी के लिए भी आधार तैयार किया, जिससे क्षेत्र में आर्थिक विकास और स्वस्थ विकास को बढ़ावा मिलने संभावनाएं बढ़ी हैं।

इस कार्यक्रम में पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय और पूर्वोत्तर राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।

श्री सिंधिया ने बैठक में आर्थिक और भू-राजनीतिक दृष्टिकोण से पूर्वोतर क्षेत्र के रणनीतिक महत्व पर जोर दिया। सरकार पूर्वोत्तर के लिए सम्पर्क सुविधाओं के विस्तार, उस क्षेत्र को व्यापार और नवाचार के केंद्र में बदलने के लिए प्रतिबद्ध है।

श्री सिंधिया ने कहा कि सरकार पूर्वोत्तर के आठों राज्य अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विविधता से लेकर अपनी प्राकृतिक सुंदरता और रणनीतिक स्थान तक पूर्वोत्तर क्षेत्र में देश की अग्रणी आर्थिक शक्तियों में से एक के रूप में उभरने की अपार संभावनाएं हैं। दक्षिण-पूर्व एशिया से इसकी निकटता भी इसको दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के प्रवेशद्वार के रूप में स्थापित करती है, जो भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति के अनुरूप है।

केंद्रीय मंत्री ने कार्यक्रम में भाग लेने वाले देशों को क्षेत्र के समृद्ध संसाधनों और शिल्प कौशल का लाभ उठाते हुए उन्हें पूर्वोत्तर में अवसरों की खोज करने का निमंत्रण दिया।

डोनर मंत्रालय में राज्य मंत्री डॉ सुकांत मजूमदार ने पिछले 10 वर्षों के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पूर्वोत्तर क्षेत्र में हुए बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में प्रमुख विकास पहलों पर प्रकाश डाला, जिसमें हवाई, सड़क और रेल संपर्क, जलमार्ग आदि का विस्तार शामिल है। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उत्तर-पूर्व को भारत की अष्टलक्ष्मी के रूप में महत्व दिया है, जो तेजी से औद्योगिकीकरण के लिए एक प्रमुख आर्थिक संपत्ति है।

उन्होंने कहा कि कई क्षेत्रों में पर्याप्त अवसरों के साथ उत्तर पूर्व भारत निवेशकों का स्वागत करता है ताकि वे इसकी अकूत क्षमता का पता लगा सकें और इसकी विकास यात्रा का सहभागी बन सकें।

इस अवसर पर अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने अरुणाचल प्रदेश सहित पूर्वोत्तर क्षेत्र की अद्वितीय शक्तियों पर प्रकाश डाला।

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने एक वीडियो संदेश के माध्यम से सम्मेलन में कलादान मल्टी-मॉडल ट्रांजिट परियोजना के महत्व और दक्षिण पूर्व एशियाई बाजारों के लिए प्रवेशद्वार बनने की पूर्वोत्तर की क्षमता का उल्लेख किया।

डोनर मंत्रालय के सचिव चंचल कुमार ने पूर्वोत्तर क्षेत्र में आईटी और आईटीईएस, स्वास्थ्य सेवा, कृषि और संबद्ध, शिक्षा और कौशल विकास, खेल और मनोरंजन, पर्यटन और आतिथ्य, बुनियादी ढांचे और रसद, कपड़ा, हथकरघा और हस्तशिल्प और ऊर्जा जैसे विभिन्न क्षेत्रों में क्षेत्र में उपलब्ध अवसरों पर भी अपनी बातें रखीं।

उन्होंने कहा कि कई क्षेत्रों में पर्याप्त अवसरों के साथ, पूर्वोत्तर भारत निवेशकों का स्वागत करता है ताकि वे इसकी विशाल क्षमता का पता लगा सकें और इसकी विकास यात्रा का हिस्सा बन सकें।

उन्होंने कहा कि मंत्रालय राजनयिक मिशनों, अंतरराष्ट्रीय विकास एजेंसियों और वैश्विक निवेशकों के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध है ताकि संसाधनों और विशेषज्ञता को उन परियोजनाओं की ओर बढ़ाया जा सके जो पूर्वोत्तर क्षेत्र में रोजगार, बुनियादी ढांचे और मानव पूंजी को बढ़ावा देंगी।

विदेश मंत्रालय के सचिव (पूर्व) पेरियासामी कुमारन ने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र बांग्लादेश, भूटान, चीन, नेपाल और म्यांमार सहित पड़ोसी देशों के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करता है, जो इसे एक रणनीतिक स्थान और भारत के लिए दक्षिण-पूर्व एशिया का प्रवेश द्वार बनाता है।

उन्होंने कहा कि इसलिए इस क्षेत्र को न केवल दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संगठन (आसियान) के साथ बल्कि पड़ोसी देशों, जैसे बंगलादेश, भूटान और नेपाल के साथ भी भारत के बढ़ते आर्थिक संबंधों के आधार के रूप में विकसित किया जा सकता है।

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