

भोपाल। राजधानी के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने हाल ही में डॉक्टर की अपॉइंटमेंट के लिए ऑनलाइन पंजीकरण अनिवार्य कर दिया है। अस्पताल परिसर में बोर्ड लगाकर मरीजों को ऑनलाइन अपॉइंटमेंट लेने और लाइन में खड़े होकर समय बर्बाद न करने की सलाह दी जा रही है। हालांकि, यह नई प्रणाली अशिक्षित और स्मार्टफोन रहित लोगों के लिए बड़ी चुनौती है, जिन्हें अपॉइंटमेंट लेने के लिए लंबी लाइनों में घंटों इंतजार करना पड़ रहा है। दरअसल अस्पताल में आने वाले कई मरीज ग्रामीण क्षेत्रों से हैं और उनके पास स्मार्टफोन या इंटरनेट का उपयोग करने का ज्ञान नहीं है। ऐसे मरीजों के लिए ऑनलाइन अपॉइंटमेंट लेना एक मुश्किल काम है। उन्हें अस्पताल के कर्मचारियों या अन्य मरीजों की मदद पर निर्भर रहना पड़ता है, जिससे उन्हें अपना इलाज कराने में देरी होती है। एम्स प्रशासन का कहना है कि ऑनलाइन अपॉइंटमेंट प्रणाली मरीजों के लिए सुविधा और दक्षता में सुधार के लिए शुरू की गई है। उनका तर्क है कि यह प्रणाली भीड़ को कम करने और मरीजों के प्रतीक्षा समय को कम करने में मदद करेगी।
अशिक्षित और स्मार्टफोन रहित लोगों की मदद के लिए सुझाव
अस्पताल परिसर में हेल्प डेस्क स्थापित करना, जहां कर्मचारी मरीजों को ऑनलाइन अपॉइंटमेंट लेने में मदद कर सकें, ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता अभियान चलाना, ताकि लोगों को ऑनलाइन अपॉइंटमेंट प्रणाली के बारे में शिक्षित किया जा सके. अस्पताल में पारंपरिक अपॉइंटमेंट प्रणाली को भी जारी रखना, ताकि जिन मरीजों के पास ऑनलाइन अपॉइंटमेंट लेने का साधन नहीं है, वे भी डॉक्टर से मिल सकें।
