जबलपुर: मप्र हाईकोर्ट के जस्टिस विवेक जैन व जस्टिस आशीष श्रोती की युगलपीठ ने अपने एक अहम आदेश में स्पष्ट किया है कि गुण-दोष के आधार पर जमानत अर्जी निरस्त होने पर भी नवीन तथ्यों के प्रकाश में राहत संभव है। युगलपीठ ने इसी आधार पर आवेदक बैतूल निवासी रिंकू की पांचवीं अर्जी स्वीकार करते हुए जमानत का लाभ दे दिया।आवेदक हत्याकांड में सेशन कोर्ट से उम्रकैद की सजा सुनाये जाने के बाद से विगत आठ वर्ष से जेल में बंद था।
आवेदक की ओर से अधिवक्ता सुशील कुमार तिवारी ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि आवेदक पर भीम नामक युवक की हत्या के प्रकरण में अपराध पंजीबद्ध किया गया था। अभियोजन के अनुसार आवेदक सहित अन्य युवकों ने भीम पर फायर किया था। घटना में गोली लगने से भीम की मृत्यु हो गई थी। इस मामले में कुल सात आरोपियों में से पांच दोषमुक्त कर दिए गए थे, जबकि आवेदक और विनोद उर्फ जान नामक आरोपी को उम्रकैद की सजा सुना दी गई।
मुख्य अभियुक्त होने के बावजूद पूर्व में विनोद को जमानत मिल गई थी। जबकि आवेदक के सह अभियुक्त होने के बावजूद गुण-दोष के आधार पर जमानत अर्जी निरस्त की जा चुकी है। हालांकि पूर्व में वह अंतरिम जमानत का लाभ पाने के बाद समय पर हाजिर हो चुका है। इसके अलावा मामले में कुछ नए तथ्य रेखांकित हुए हैं। जिससे यह सिद्ध नहीं हुआ था कि भीम की मृत्यु जिस बंदूक की गोली लगने से हुई, उससे आवेदक रिंकू ने ही फायर किया था। इस सिलसिले में कोई जब्ती आदि भी नहीं हुई है। कोर्ट ने इन तर्कों के आधार पर जमानत अर्जी मंजूर कर ली।