53 प्रजातियों के वृक्ष की कटाई व परिवहन में छूट अवैधानिक

 

हाईकोर्ट ने सरकार द्वारा जारी संशोधित अधिसूचना को किया निरस्त

 

जबलपुर। प्रदेश सरकार द्वारा 53 प्रजातियों के वृक्ष की कटाई पर परिवहन के लिए अनुमति मुक्त किये जाने को हाईकोर्ट की लार्जर बेंच ने असंवैधानिक करार दिया है। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत, जस्टिस एस ए धर्माधिकारी तथा जस्टिस विवेक जैन की लार्जर बेंच ने अपने आदेश में कहा है कि साल 2015 में जारी विवादित अधिसूचना और साल 2017 में किए गए संशोधन वन अधिनियम, 1927 की धारा 41(1), (2) और (3) के प्रावधानों के विपरीत हैं। इसके अलावा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 21, 48-ए का उल्लंघन करते हैं। लार्जर बेंच ने विवादित अधिसूचना तथा उसमें किये गये संशोधन को निरस्त करते हुए अपने आदेश में कहा है कि ट्रांजिट पास नियम, 2000 छूट प्राप्त सभी वृक्ष की प्रजातियों पर तत्काल प्रभाव से लागू की जाये।

गढा जबलपुर निवासी विवेक कुमार शर्मा तथा एक अन्य की तरफ से दायर अलग-अलग याचिका में कहा गया था कि प्रदेश सरकार द्वारा सितम्बर 2015 में जारी अधिसूचना के माध्यम से वृक्षों की 53 प्रजातियों को हटाने के अलावा मध्य प्रदेश परिवहन (वनोपज) नियम, 2000 के नियम 4(2) का प्रावधान भी हटा दिया गया है। जिसके परिणामस्वरूप निजी भूमि पर स्थित वृक्षों को काटने या परिवहन करने के लिए कोई अनुमति प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं है। लोगों के द्वारा उपयोग के लिए अधिक वृक्षों को काटने से पर्यावरण पर दुष्प्रभाव पडेगा।

याचिकाकर्ता की तरफ से तर्क दिया गया था कि इंदौर खंडपीठ ने टी.एन. गोदावर्मन थिरुमुल्कपाद बनाम भारत संघ पर विचार नहीं किया गया है। युगलपीठ ने सुनवाई के बाद इंदौर हाईकोर्ट द्वारा पारित आदेश की वैधानिकता पर लार्जर बेंच द्वारा सुनवाई करने के आदेश जारी किये हैं।

लार्जर बैंच ने अधिसूचना व संशोधन को अवैधानिक करार देते हुए उसे निरस्त कर दिया। इसके अलावा इंदौर बैंच के आदेष को भी कानूनी रूप से अनुसूचित करार दिया है। लार्जर बैंच नेकहा है 10 दिनों की अवधि छूट प्राप्त प्रजातियों के वन उपज और लकड़ी के ट्रांजिट के लिए संबंधित व्यक्ति व संस्था को पास जारी करने के लिए आवेदन करना अनिवार्य है। ट्रांजिट पास के लिए आवेदन करने वाले व्यक्तियों पर आगामी 30 दिनों तक कोई बलपूर्वक कार्यवाही नहीं की जाये। इस फैसले का प्रभावी हिस्सा को राज्य के सभी संबंधित विभागों की आधिकारिक वेबसाइटों के होमपेज पर प्रकाशित किए जाएंगे। इस आदेष के प्रचार प्रसार की व्यक्तिगत जिम्मेदारी संबंधित विभागों के प्रमुख सचिव की होगी। याचिका को सुनवाई के लिए पुनः युगलपीठ के समक्ष प्रस्तुत करने आदेश जारी करते हुए लार्जर बेंच ने कहा है कि उक्त निर्देशों का परिपालन करते हुए गुण-दोष के आधार पर सुनवाई की जाये। प्रदेश की अन्य खंडपीठ ने इस संबंध में याचिका दायर है या दायर होती है तो उन्हें सुनवाई के लिए मुख्य पीठ में स्थानांतरित की जाये। लार्जर बेंच सुनवाई करते हुए महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए हैं, जिनका आगामी 6 महीनों तक अनुपालन और निगरानी की आवश्यकता है। इसके लिए हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश युगलपीठ का गठन करेंगे। निर्देशों के अनुपालन रिपोर्ट युगलपीठ के समक्ष 10 मार्च को प्रस्तुत की जाये। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता अंशुमान सिंह ने पैरवी की।

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