खिलाडिय़ों और कोच ने संभागीय क्रिकेट समिति के सामने बयां किया दर्द
नवभारत न्यूज
सतना . सतना डिस्ट्रिक्ट क्रिकेट एसोसिएशन में धांधली, भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद और निजी हितों की जड़ें इतनी गहरी हो चुकी हैं कि इसके चलते जिले में क्रिकेट की स्थिति आईसीयू में पहुंचती नजर आने लगी है. लिहाजा क्रिकेट को नया जीवन देने के लिए तत्काल सर्जरी की आवश्यकता है. इस तरह का दर्द कुछ जूनियर-सीनियर खिलाडिय़ों सहित कोच ने संभागीय समिति के समक्ष बयां किया.
शहर के धवारी में स्थित क्रिकेट स्टेडियम में रविवार को रीवा से आई संभागीय क्रिकेट एसोसिएशन के 2 सदस्य पहुंचे थे. दो सदस्यीय दल में कोषाध्यक्ष फैज सिद्दीकी और मैनेजिंग कमेटी के सदस्य अजय मिश्रा शामिल रहे. दरअसल सतना डिस्ट्रक्ट क्रिकेट एसोसिएशन में अध्यक्ष और सचिव को छोडक़र शेष सभी सदस्यों को हटा दिया गया था. एसोसिएशन पर धांधली, भ्रष्टचार, भाई-भतीजावाद, पक्षपात पूर्ण रवैया और निजी हितों का संरक्षण देने जैसे गंभीर आरोप काफी समय से लगते आ रहे थे. मामला गंभीर होता देख संभागीय किक्रेट एसोसिएशन द्वारा दखल देते हुए हल निकालने का प्रयास शुरु किया गया. इसी कड़ी में संभागीय क्रिकेट एसोसिएशन के सदस्यों ने रविवार को क्रिकेट स्टेडियम में पहुंचकर स्थानीय स्तर पर सभी खिलाडिय़ों, कोच, पदाधिकारियों सहित समाजसेवियों से चर्चा की. इस दौरान खिलाडिय़ों सहित कोच द्वारा डिस्ट्रक्ट क्रिकेट एसोसिएशन की कार्यशैलह पर कई तरह के गंभीर सवाल खड़े किए. खिलाडिय़ों ने कहा कि एसोसिएशन और एकेडमी का गठजोड़ इतना खतरनाक हो चुका है कि ब्लाक से लेकर जिला अथवा संभाग स्तरीय टीम में केवल अपने चहेतों को ही शामिल किया जाता है.इसी कड़ी में एक क्रि केट एकेडमी के कोच ने जिला किक्रेट एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेश शुक्ला और सचिव आनंद सिंह बघेल पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि स्टेडियम को अपने कब्जे में लेकर केवल दुकानदारी चलाई जा रही है. भाई-भतीजावाद और निजी हितों के संरक्षण के चलते मायूस होकर कई प्रतिभाशाली खिलाडिय़ों ने सतना छोडक़र पड़ोसी जिलों में जाकर खेलना शुरु कर दिया है. हलांकि खिलाडिय़ों और कोच के द्वारा एसोसिएशन की कार्यशैली पर काफी गंभीर आरोप लगाए हैं. सभी बातों को सुनने और समझने के बाद जांच दल द्वारा इतना ही बताया कि फिलहाल सतना डीसीए के अध्यक्ष के सारे काम-काज पर रोक लगा दी गई है. मामले की रिपोर्ट सोमवार को रीवा संभागीय क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष को सौंपी जाएगी. लेकिन अब यह देखने वाली बात होगी कि संभागीय एसोसिशन इस मामले में कोई सर्जरी कर भी पाता है अथवा यह समूची कवायद महज सेफ्टी वाल्व के तौर पर की गई थी.
क्रिकेट के नाम पर दुकानदारी
कुछ जूनियर खिलाडिय़ों ने बताया कि एसोसिएशन के लोग सभी खिलाडिय़ों पर इस बात का दबाव बनाते हैं कि वे स्टेडियम में कथित एकेडमी द्वारा चलाए जाने वाले प्रशिक्षण में अनिवार्य रुप से शामिल हों. यदि वे ऐसा नहीं करेंगे तो उनका चयन कभी भी ब्लाक, जिला अथवा संभाग स्तरीय टीम के लिए नहीं हो पाएगा. बताया गया कि स्टेडियम में संचालित होने वाली कथित एकेडमी द्वारा प्रति छात्र हर महीने 1 हजार रु का शुल्क वसूला जाता है. इस दुकानदारी में से कुछ हिस्सा एसोसिएशन को भी देना पड़ता है. यानी स्टेडियम शासन का और उसका मेंटिनेंस भी शासकीय खर्च पर, लेकिन दुकानदारी अथवा बपौती केवल एसोसिएशन वालों की. नतीजतन जिले में क्रिकेट की हालत दिनों दिन बद से बद्तर होती चली जा रही है.
ननि ने संभाली जिम्मेदारी
स्मार्ट सिटी मद से नगर निगम द्वारा धवारी क्रिकेट स्टेडियम का कायाकल्प कराया जा रहा है. जिसका लगभग 90 फीसदी कार्य पूरा भी हो चुका है. इतना ही नहीं बल्कि ननि द्वारा अब डीसीए को धवारी स्टेडियम से अपना बोरिया-बिस्तर बांध लेने का अल्टीमेटम भी दे दिया है. लिहाजा धवारी क्रि केट स्टेडियम का रख-रखाव, वहां पर दिए जाने वाले प्रशिक्षण और मैच के आयोजन की जिम्मेदारी को संभालने के लिए ननि द्वारा अपना दावा ठोंक दिया गया है.